चलो दियारे नभी की जानिब
दुरूद लब पर सजा सजा कर
बाहारे लूटेंगे हम करम की
दीलों को दामन बना कर
चलो दियारे नभी की जानिब
ना उनके जैसा सखी है कोई
ना उनके जैसा घणी है कोई
वो भेनवां को हर जगा से
नवाजते हैं बुला बुला कर
चलो दियारे नभी की जानिब
यही असासे आमल है मेरी
इसी से बिगली बनी है मेरी
समेटिता हूं करम खुदा का
नवी की लादे सुना सुना कर
समेटिता हूं करम खुदा का
नवी की लादे सुना सुना कर
मैं वो निकम्मा हूं जिसकी जोली
में कोई उसने आमल नहीं है
हाँ कोई उसने आमल नहीं है
मगर वो एहसान कर रहे हैं
खताई मेरी चुछवा चुछवा कर
मगर वो एहसान कर रहे हैं
हैं को उम्मत से प्यार कितना
करम है राहमत शिआर कितना
हमारे जुल्मों को दो रहे हैं
हमारे जुल्मों को दो रहे हैं
भूदूर आसू बहा बहा कर
हमारे जुल्मों को दो रहे हैं
हमारी सारी जरूरत पर
किफालतों की नजर है उनकी
वो जोलियां भर रहे हैं सब की
करम के माती लुटा लुटा कर
वो जोलियां भर रहे हैं सब की
वो राह अब तक सजी हुई है
दिलों का काबा बनी हुई है
जहां जहां से भुदूर गुजरे
है नाक्ष अपना जमा जमा कर
करो दियार हवी की जानीब
कभी जो मेरे घरीब खाने
की आप आकर जगाए किस्मत
मैं खैर मपदम के गीत गाऊँ
गाए अपनी पलके विछा विछा कर
चलो दियार हवी की जानीब
चलो दियार हवी की जानीब