ऐ बाला जी महराज के प्यारे प्यारे भगतों
बाला जी महराज के महिमा का गुन्गान
अम्बे सीरीज के माधंसे किया जा रहा है
और जिसके गाया कलाकार
राजुहं स्वय साती
उरभजन की समय का
एक भग
अपने दरबार में
सभी प्रेमी भगचनों का कहता है कि भगतों बाला जी महराज के
दरबार में बड़े जोरो का मेला लगा है वहाँ पर हजार लाकों की
संक्या में भग जगने काठे होते हैं और कैसे उनको महिन्दीपूर
में जाने के लिए निमत्रन देता है नियोता देता है आज इस भगङ
हुँ चलो चलो रे मेहन्दीपूर दावं के मेलो आयो रे
मेलो आयो,
मेलो आयो,
मेलो आयो,
मेलो आयो,
मेलो आयो रे
चलो चलो रे महनीपूर धाम के मेलो आयो रे
दाम के मेलो आयो रे
मामे की अजबि बहार के मेलो आयो रे
चलो चलो रे महनीपूर धाम के मेलो आयो रे
मस्ती बरलो मन में थोड़ी
माता
ठेकनें जा के ओडि
रख जाँगे बालाजी के रङ्ग में
जाँगे बालाजी के रङ्ग में
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