बड़ी मंदिर,
बड़ी मंदिर
बड़ी मंदिर चल भगता गुरू दर्बार में
गुरू दर्बार,
गुरू दर्बार
फकर दबड़ी मंदिर,
बड़ी मंदिर बड़ी मंदिर, उभृतां जदर बढ़ी
बातान हुआ से, हर मात का वाई अजर आया है...
जल भगता गुरू दर्बार में
भच्चपन तेरा बेड़ गया है
बन्दे बाल
ठिठोली में
बन्दे बाल ठिठोली में
तेरी बीती जाए जबानी
बन्दे रास रंगोली में
मेरा दिल
यहीं पे लगता गुरू दर्बार में
तेरे निकलेंगे
खल भगता
गुरू
दरबार में
तेरे निकलेंगे हल भगता
गुरू दरबार में
बड़े मंदेर चले भगता
गुरू
दरबार में
सोच विचार किया नहीं तोने
क्या खोया क्या पाया है
क्या खोया क्या पाया है
जिसके पीछे भागा ताड़ा
वो भी हात ना आया है
मेरा मन
यहीं पे जगता गुरू
दरबार में
गुरू दरबार गुरू दरबार गुरू दरबार गुरू दरबार गुरू
दरबार गुरू दरबार गुरू दरबार गुरू दरबार तेरे निकलेंगे
तेरे निकलेंगे तेरे निकलेंगे हल भगता गुरू दरबार में
तेरे निकलेंगे हल भगता गुरू दरबार में
खुद को खूब सजाने पे
सचों का मन है रमता गुरू दरबार में
गुरू दरबार गुरू दरबार तेरे निकलेंगे
तेरे निकलेंगे हल भगता गुरू दरबार में
बड़े मंदिर चले भगता गुरू दरबार में
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