प्रेम सुली साच्छे करपारे की
बोली सेरा वाली मैया की
चोहला भावजी तोहे घुमाई सराज मेरी के मेला
चाट चोहमिन बरगर खिया इब योरे खिया इब केला
चोहला भावजी तोहे घुमाई बस साहती के मेला
चाट चोहमिन बरगर खिया इब योरे खिया इब केला
कोरे दर्शन भावजी चाला साभे लोग वाजले
भावजी होता हर नन हका
भावजी
जी हो ताहर नन्हका खुशी के मर नाचे
आउ जी हो ताहर नन्हका पंडल अवे में नाचे
डेवरु हम चाहतो निजाई के पहना
आगा जीवो हमरो देवरु मालो हमर कहाना
देवरु हम चाहतो निजाई के पहना
देवरू हम चाहा तो निजाई की पहाना आरा जीवा हमरो देवरू माना हामर कहाना
देखे चानब तोहके भावजी ही बाते हामर लाला सा माई आके दर्शन करिहा रखिहा नावगो काला सा
मतल भी नरिंदर चलिह रही है सबके साथे भावजी होता हर नाना का खुशी के मर नाचे पंडला वे में नाचे
देवरू घूमाई खा हम कहे आजम गर के मेला सुन ले बाणी देवरू वही जा भीड भारी लगेला
देवरू घूमाई खा हम कहे आजम गर के मेला
मेला सुनले पानी देवरू वही चा भीड भारी लगेला
आजम गड के मेला में भावजी लांगेला जाम हो
दर्शन काई के जल्दी चलिया नाही तहोई साम हो
अम्बाधी माहल चला बात कही साचे
भावजी हो ताहर नाना का
खुसी के मारे नाचे
भावजी हो ताहर नाना का
तामे लावे में नाचे