जैबा
जैबा
बोलो बोलो जैज़़गा चलो मत दरबाद
जैज़़गा
जैा जैबा जैबा बोलो बोलो जैज़़गा चलो
मत दरबाद हाज दरस्न की जिद मुझेने ठानी
मा कही पहरा है तेरे हर काम पर
मन को निरास कर
मय की भगती में तू भी कुछ नाम कर
जोली मताजी तेरी देंगी भर
तेरी मिठ जाए लाखो परिसानी
मा जय जय मा
तेरी मिठ जाए लाखो परिसानी
यहाँ पे अर्मान सजते हैं
मय की गुन गय स्यामरगुनन्दन
वेद सास्त्र यह कहते हैं
आस्मस देवलोक
करते हैं बंदन मा के दरस को तरसते हैं सारे जग की है जननी भावानी
ही सब गुन गावान करते हैं जुला जुलती है
वे सुनो भावानी गोने मिया के दार लचके है
जैमाँ जैमाँ जैमाँ
अपने सरण में रख लो माँ
उठीकर जो रिसी से जुकाए भक्ति भाव परख लो मां
मेरी लाज अब तुम ही को है बच्चानी
तुम ही पे विस्वास करते है