एक वराजी, कहे नहीं हर चाय खाती पात करता नहीं
तक का करें, रवरा हमरा हिसाबसे रहते नहीं कि असाही रहल जाला
अवरा हब, चैसे रवरा को हब उसे हमरा हब हमारे पास तो नहीं
कहे
बान नहीं खाइब, रोजे भात बनावाईब
रवाजी, जैसे को हब, उसे जीनिकी बिताइब
भाङ नहीं खाइब, रोजे भात बनावाईब
रवाजी, जैसे को हब, उसे जीनिकी बिताइब
नहां ठेकि चला वाइब, नहां सुपा धार वाइब योज होँ चौयव जेयू दाई
काहे नराज बनी रौरा, नहीं हर मत जाई गौरा
बस हाके छोड़ के बुलेरो मंगावाईब, घुमेब नहीं बने बने सहर में घुमाईब
सिस महल बनावाईब, दासी लोडी रखावाईब
काहे नराज बनी रौरा, नहीं हर मत जाई गौरा
मिरका के छाला ताजी सूट हम सिवाईब, भसमी के बदले सुगन भी लगाईब
काहे नराज बनी रौरा, नहीं हर मत जाई गौरा
नहीं गंजा मलवाईब, नहीं भांग पिसा वाईब, रोजे भार दाउरा
काहे नराज बनी रौरा, नहीं हर मत जाई गौरा