खिलू कोई लसी,
कोई से मानी ये चाल।
उसादी बाहो खेबाला, तुहारा कुछ औवो न बुझाला।
कौई लागेलो धारे, रहना ना कणि को सोहाला।
उसादी बाहो खेबाला, तुहारा कुछ औवो न बुझाला।
कौई लागेलो धारे, रहना ना कंणि को सोहाला।
काल हो से दो सड़ा के भनबानी ये जान।
बुझा तुम ओ जनवा के परसानी ये जान,
भी ना खिवः होले जीव कोई से मानी ये जान।
गर के इजो तीया हम
बहानी बचो बोले
हुआ गाँ माई साभी बिया लोगो बोले
अब ओजे जाएँ परी हूँ
सुनना भोईका हमारे तनी कड़ो भिजार हो
अच्छा
सोहाडानी अनके करी हमाराचे प्यार हो
छोड़ा कैला
कौन नदाने निये जाओ
छोड़ा कैला कौन नदाने निये जाओ
बुझ हो तुमों जनवां के परसानी ये जाँ पिनां धिवखोईले
धिवखोईसे मानी ये जाँ
कोई कह दिया जब सासुरा में जाई
रोजे बिडियो काल कोके तोहसे बोती आई
बुझ हो लाइ
कब कुछ जूट होके आचा राधा रावार पारुगाणी
पियावा के सुन हे जाके काटे लग बुचानी
परसानी ये जाँ
पिनां धिवखोईले
धिवखोईसे मानी ये जाँ
पिनां
धिवखोईले
धिवखोईसे मानी ये जाँ