भिन पीहे नशा हो जाता है
जब सूरत देखूं पोहनकी
हो भिन पीहे नशा हो जाता है
जब सूरत देखूं मोहन जी
ना जाने क्या हो जाता है
जब सूरत देखूं मोहन जी
जेखूं मोहन जी
मत मोहन मदन मुरारी है
जन जन का पालन हारी
है ये तिल उस पर ही
आता है
जब सूरत देखूं मोहन जी
पिन पिये नशा हो जाता है जब सूरत देखूं मोहन जी
ना जाने क्या हो जाता है
जब सूरत देखूं मोहन जी
ना जाने क्या हो जाता है
जब सूरत देखूं मोहन जी
खुंगरारी लट मुक पर लटके
कानों में कुंडल है धलके
जब मन्द मन्द उसताता है
जब सूरत देखूं मोहन की
पिन पिये नशा हो जाता है जब सूरत देखूं मोहन की
जब सूरत देखूं मोहन की
सक्षी पूछ बेटती है कि तु क्यों इतना मर रही है ढखाकुर।
और भी इतने भगवान हैं, राम हैं, भोले बाबा हैं.
पर कनया में ऐसी क्या बात है?
दोनों की बात सुखे कनया भी बोलता है,
मां भी पूछे कि क्यों मरती है तु?
सक्खी कहती है प्यारे,
जी करदा है हर वेले,
तैनु कोल बिठाके तक दी रवा,
सर जिस्म दी आँखां बन जाओंगा,
मोताज ना मैं दो अँख दी रवा.
इसलिए प्यारे, मोहन से दिल क्यों लगाया है,
के मैं जानू या वो जाने?
इसलिए प्यारे,
तेरे से दिल लगाया है,
इसलिए हर समय मैं एक सरूर में रहती हूँ,
नशे में रहती हूँ.
सबी पूछते हैं मुझे,
कि ऐसी कौन से ब्रांड की पीते हूँ भाई,
कि हर वक्त नशे में रहते हो?
सखी कहती है,
हम जो ब्रांड पीते हैं,
वो सबसे अलग हट के ब्रांड हैं भीया,
हम तो...
बिन पीए नशे में रहते हैं,
जब सूरत देखूं मोहन की,
ना जाने क्या हो जाता है?
कि आज हर वक्त नशे में रहते हैं।
तेरी आाँवो से दूर चला गया
कहि चला गया फिर
एआस कंत वहाँ
थि वक्षद फब् भी थुआ गोfriend
खल लगता है वक्त भी छोडेता
बिन यार गुझारा किवे करा
एक दिन होबे ते लंग जाओ
सारी उमर गुझारा किवे करा
इसलिए उसकी याद के नशे में रहते हैं
वो मिलेया ना मिले
बिन पीए नशा हो जाता है
जब सुरत देखूं कोहन की
पिन पीए नशा हो जाता है जब सूरत देखो मोहन की
ना जाने क्या हो
जाता है
जब सूरत देखो मोहन की
पैसे भी भी है
कि दुनियावे अगर किसी से प्यार हो जाएं,
महब्बत हो जाएं
तो आदमें सोचते हैं दुनिया लुड़ा दें इसके लिए
लेकिन वो प्यार थोड़े समय का होता है
कि सुरत हटते ही ध्यान गटा कहते हैं
है नशा अनोखा पीतीदा ते वखरा तेरा मैं खाना
इक वार मैं ते थो पीती सी ते बढ़ेया फिरया दिवाना
तसलीये
पिन पिये नशा हो जाता है जब सुरत देखो मोहन की
पिन पिये नशा हो जाता है
जब सुरत देखो मोहन की
अन्ताज निराले हैं उनके दुख दर्द मिटा दे जीवन के
पिन पिये नशा हो जाता है जब सुरत देखो मोहन की
ना जाने क्या हो जाता है
जब सुरत देखो मोहन की
आखों में है अन्ताज उमंग आनन धन्धन बरसाता है
जब सुरत देखो मोहन की
ना जाने क्या हो जाता है
जब सुरत देखो
मोहन की
ना जाने क्या हो जाता है जब सुरत देखो मोहन की
tone ho bin bhi yeh nasha hodata hai
jab surat dekhu
MOHAN ki