देखी भिया एब लाइका आपने कोवाई के लाइकी के चक्कर में पढ़के नदी के किनारे बुलावलेबा अब फुसिला बालाग वर सेकें का का पहलेबा उलाइकी आपने सखी से कहती आँ
का कोर्ण दिया आई सुनी सबे संतोस के सरिया के आवाज में कोवाई यू
सुनाए साखी मोरी तीचे से खिचल सुढोरी ए सखी उता बड़ा पदलेट बहू
सुनाए साखी मोरी तीचे से खिचल सुढोरी गॉइल रही घूमे नदी ते हम अच्छोरी हो
गवाही कलाई का भूसी लाई ले लसरे, बिली में किली लगा दे लसरे
बाते बाते में ले ली हलास चुम्बाट चाटी, हमारा तलाग अलकीं नारधि हो खाटी, लगा ता कि जान लेली ही सखी
चाटी ओठ लाली गाली कोईले वालाल हो, कहेला कि तु जान हो हमर माल हो, दोहरा चलते जी अतबानी कोईला तो नी पाता
हो
कहें तो के पावे खाथिर सोली बोड़ी घाटा हो
कोना को पुल गिराई देलसरे
बिली में किली लगाई देलसरे
खवा ही खला ख़ुसी लाई देलसरे
बिली में किली लगाई देलसरे
रोग नहीं पौनी हम का कोई दासा
देखानी भीतर तो लागल लहंगा में लासा
अब तो जिन की कबोनी गईल भार हो
बीगन से लड़ी गईल लाजार हमार हो
मन मूरत के भीतर बैठा लेनी अपना
रोज रोज ता उनका के देखावा ता नी सपना हो
संतोस के सर्या के भरमा आए ले लसरे
बिल्ली में किली घुसा वा आए ले लसरे
घवाईका लेका फूसिल आए ले लसरे
बिल्ली में किली लगा आए दे लसरे
जाये दाये सकी का कर बुगा वही कन रहल हावा काहा वेचारा जाये