बाबल के अंगना में माझो फली उस अंगना से एक दिन चली
बेटियां तो होती है पराई, पराई, विदाई, विदाई, प्रीत ये कैसी है
कैसा भी हो रंग चाहे, कैसा भी हो रूप, बेटियां है बाबल के अंगना
छलकेंगी ये प्यार से, रोएंगी बिछेडे के, आएंगी जो बिदाई के घड़िया
विदाई, विदाई, रित ये कैसी है