एक दिन की बात थी पारबती जी और भोलेनाथ बैठे थे
तो पारबती जी भोलेनाथ से कहती है
हाँ सरस्मे एक गीत है
कि आप भांग खाके इन पहाड़ों में बैठे हैं
और तुमारे दो बच्चे पैदा हो चुके हैं ख़दानन और गड़ेश जी
बताईए लोगों को राशन कहां से आएगा
आप तो भांग खाये मस्त पड़े रहते हो
भोलेनाथ तत्स समस्त नहीं हुए
तो पारबती जी ने सोचा इनको भोजपुरी में समझाएंगे तो बैठ समझ पाएंगे
तो पारबती जी समझाती कैसे है भोलेनाथ को
शिवसंकर से एक लेरी बोली और पारबती महरानी भोलादानी
हुए हुए भोलादानी भोलादानी भोलादानी
ऐसे काम नहीं चलेगा परिवार बढ़ रहा है और आप भांखाय पड़े हो
तो समझाती कैसे हैं पारबती जी भूले नाथ को
कहाई गउरा बनी भूला करा किसानी तू
कहाई गउरा बनी भूला करा किसानी तू
नसा में चूर भया तरपडी छूभों जरबा
चराईके बुला बयल यव रहाईके पाथर्बा
नसा में चूर भया तरपडी छूबों जरबा
चढ़ाई के बुढ़ा बयल और रहाई के पास तब होला अब जीनी समय ये जवावा होला
आत्रिशर्णा के चनहिया के साझे खेती का दावा दुई थिया है कदेला तो हरे हम हूं दुई लवपरानी भोला जानी
भोले ना सोचल पार बते जी सही कहते हैं पहलवा हमार कुल पड़े गया इतना बड़ा
अरे बुला के स्याम को खेत कुल जो ताई दिहे बिना मेहनत के घिस्र कंद खुब लगाई दिहे
बिला मेहनत के कृष्णतंद खोब लगाईजे हैं
गन्श्याम भोले पहिले हमके बतलावा
उपर की नीचे ले वैका पहिले फर्यावा
कमार तएर बतमारा अधधा दाना अधधा भूषक न होये
एक फिर बिराई दें
तो भोले ना सोचन कंदिया उपर कुछ फर्थ है
कहिय बिला सीपहिले ले बहमत उपर कर
तुम अधाई महाई हिस्ता लिया उपर कर
भैतयार
भैतयार
भैतयार
भाई के यार कृष्ण कंद कुली खोदाई लिए उपर के गवा कुली बुढ़ाउके उठाई लिए
उपर के गवा कुली बुढ़ाउके उठाई लिए
बोले ना सोचन सारी पैदावार हमाई मस्के हैं पड़ा जमर्क बोश रहा
तलाई के बोजे दुआरे आए
तवड़े शेल जुताखे बोलाए
देखते ही गवराशे वियरापर परिजपाथर पानी हो बोलाए
बोलाजाई
पार बती जी देखते ही मार कपार पीट नहीं कहत कहाई
सतीरिशी आई कहाई बोले का उलै आई
गदेला खाई है कवबाई
गदेला खाई है जवाबादी के लाए
तो हाई अभिना थी हम को
किसन भंगवान के लगे दवडा गए
कहने हो बहुत बिगड़ा गए हम
हमाई वादा है उपर के लगे हैं यहाँ नीचे कले
कहने ठीक बाए
वहार घणशाम खेत में बजरी खोब छिताई दी है
वहार घणशाम खेत में बजरी खोब छिताई दी है
पकी बजरी ते लगथा कुली कटाई ली है
बोले नाच गए
लेके protect
जल्डी जल्डी काट के तीन बोज बनें, दूई बोज नंदी पलाद दें, वहीं डबाई गयों, एक बोज अपूवा ले दें।
कैसे वो कैसे वो घरे पहुँचें, भोले नाथ पारबती जी से कहें।
गऊरा अब की कि हाँ की चानी, गऊरा साथ बरता यों हमाने।
हाथ बरता यों हमाने।
पार्बती पार्बती चहाई भोला पादल मिला पराणी भोला दानी
भोले नार सिदा किशन कनेयक लगे गैन कहें कि दुनु दाए हमें उल्लू बनाये तू
कहाई भोला अभिनासी हमें के उल्लू खब बनाये तू अनाज लाई के जवा लक्षा कुछ लिखाया तू
लाइट तो हह लांसी वर्ष तू भिम मुल ऐसा हर तरीके आव चाहिए आब कि निश्चाय ऊपर नुकान रैवरी है बाबा कि
वो हर घणष्याम खेत में है कोई बाद नहीं है या दात सूनी थे उन पर उबहुत पर है कोम बात नहीं
वो हर घनस्याम खेट में मकई खोब छिटाई दिये
पकी मकई तबाड़ी बीचाई चेह तो राई दिये
मिला फरी लंचाली के उपर की बचाई में
कहाई बुढ़वू की आगिला दाई यहाँ तबाई में
कहाई बुढ़वू की आगिला दाई यहाँ तबाई में
कहाई बुढ़वू की आगिला दाई यहाँ तबाई में
कहाई बुढ़वू की आगिला दाई यहाँ तबाई में
कहाई बुढ़वू की आगिला दाई यहाँ तबाई में
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