एक्यारी सागबाद एक्यारी कोभिण
बाब पाई बाद, आजुगी रमा
एक्यारी सागबाद एक्यारी कोभिण
आवानात भावजी के ले भागी जोबी बोल।
भावजी भागी
भावजी हिला वस बैदन वाकेड़
आवानात पर जैहें बिमा,
ते भावजी भावजी हिला वस बैदन वाकेड़
मारेला सिटी दिल के दीजल गाड़ी,
ताके लिराह तो हर बैची दुवारी,
आखे इनकर लगाव बेड़ा पर,
ते भावजी भावजी हिला वस बैदन वाकेड़
फाली न खाना, पियस न पानी,
आके डाला इनका खपरी में घानी,
सुखा परल बामन के इनार,
ते भावजी भावजी हिला वस बैदन वाकेड़,
धाला विजे भाईया जल्दी से गाड़ी,
बाड़ी उदास रहा भावजी बेचारी,
फसे देखी सनेघित का,
फसे देखी रभी गयका,
ते भावजी भावजी हिला वस बैदन वाकेड़,
वस बैदन वाकेड़,
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