मानव से मानव की जिसने सभी दूरियां पाटी हैं
अती सुगंधित देवन वंदित ये भारत की माटी है
मानव से मानव की जिसने सभी दूरियां पाटी हैं
अती सुगंधित देवन वंदित ये भारत की माटी है
बैर को बदले प्रीत में रुदन को बदले गीत में
सन्नाटे को संगीत में
रुदन को बदले गीत में
सन्नाटे को संगीत में
देदे कर संदेश सांति का जगत में खुसियां पाटी हैं
अती सुगंधित देवन वंदित ये भारत की माटी है
अती सुगंधित देवन वंदित ये भारत की माटी है
अती सुगंधित देवन वंदित ये भारत की माटी है
कभी के सुख की कामना परोकार की भावना
सत्य की होती साधना ईश्वर की आराधना
आत्मियता के भावने जड़ हिंसा की काटी है
अती सुगंधित देवन वंदित ये भारत की माटी है
पवन सुनाए गीता ग्यान भारसाओं में है विज्ञान
नदियों की कल कल में तान धवज तिरंगा गाए गान
बेद मंत्र की धवनी ने सारी उलजन मन की छाटी है
अती सुगंधित देवन वंदित ये भारत की माटी है
परवों की गुझे जनकार भुला है वातावरण में प्यार
परवों की गुझे जनकार भुला है वातावरण में प्यार
भूमी भारत जो आदिन को लेंगा जुनकार
भूमी उपजाए संसकार भारत तेरे रूप हजार
साधक हिंद देश के आगे साधक हिंद देश के आगे
दुनिया ठिगनी नाटी है अती सुगंधित देवन वंदित ये भारत की माटी है
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