प्रस्तुति प्रस्तुतिजब कहती है तू मेरी बचकानी बातों पे भप धपगिर जाता है दिल हो जाता है ये थोड़ी देर धपमाथे से पिंदी का नप्ता जो उतारूं और लगादूं तेरे रुखसार पेहरफों का गुच्छा है बालों में जो खोलूं लव्ज लगते हैं ये गुलजार केयू लिखता पढ़ता हूँ चहरा खिलता है और बदले में मुझको मिलता हैभप जब भी मिलता है बोसा लगता है तेरा येभप धप गिर जाता है दिलओहो जाता है ये थोड़ी देरभप
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