भजले दीन दयाल दयाल भजरे मन दीन दयाल दयाल
भजरे मन दीन दयाल दयाल भजरे मन दीन दयाल दयाल
भजरे मन दीन दयाल दयाल भजरे मन दीन दयाल दयाल
गोविंडा गोपाला सब गई गोविंडा गोपाला
भजरे मन दीन दयाल दयाल भजरे मन दीन दयाल दयाल
गोविंडा गोपाला सब गई गोविंडा गोपाला
भजरे मन दीन दयाल दयाल भजरे मन दीन दयाल दयाल
गोविंडा गोपाला
भजरे मन दीन दयाल दयाल भजरे मन दीन दयाल दयाल
ओ थी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित हुआ न कोई धाई अकशर प्रेम का पढ़े सो पंडित हो
भजरे मन दीन दयाल दयाल भजरे मन दीन दयाल दयाल
गोविंडा गोपाला
भजरे मन दीन दयाल दयाल भजरे मन दीन दयाल दयाल
भजरे मन दीन दयाल दयाल
किर्तन वगर कथा सफर्ड नथी थती कल उग मां किर्तन नी बहुँ जरूर थे मेरी जो मान्यता है मेरी निजी मान्यता है वो आपको कह रहा हूं आप माने न माने
एक मानस ती बुद्धी जो फरी जाए अने स्वीच दबावी दे शातो जे रिते फुडातू हैं ये रिते करे तो आज जगत नु शु थाए नी खबर नथी तोडाई रही हूँ छे बदू महासत्ताओ पण छताँ ये फूडवा नी बुद्धी ने कोई रोकी रही हू
हरी नाम महापुरुषों पड़िया है अनी साधना सामुहीक संकिर्तन आ बदान आ वातावरन पर असर थाई रही जाए
अने ये दुर बुद्धी अना मां ना आवे अतला माटे आ सत्संग ने भगवन नाम अनी बुद्धी ने रोकी रहूँ छे ने तर स्वीच दबावता कितली बार लागे पण येने कोई अठकावीन बैठू होई तो मारी एली द्रध मान्यता छे हरी नाम हरी साधना धारत
भजरे मन दिन दया दे गहराना
भजरे मन दिन दया दे गहराना
भजरे मन दिन दिन दया दे गहराना
नाम मा अद्भूत शक्ती है अद्भूत इसलिए
गोविन्दा गोपाला
गोविन्दा गोपाला
भजरे मन दिन दया दे गहराना