जेहारा बतावता की बाड़ो पोरे सहन हो
Shivraj Saikha
अरे क्या भाईल रे?
जुठों के प्यार हुमसे कोरत रहे
छोटी छोटी बात लेके लोडत रहे
हम्रा रोहते वो
चाहा गोपमा रत रहे
जे कारा पर भरोसा कोईनी उहे निकल गई जाली रे
अरे छोडावा रे लोटा खोडावा तो रोता गिरी एक दिल लोडावा
इसे काहे कोहता रूप?
जब पहले बाड़ु प्यार में तु धोखा हो
बोला के नडा रखे देबू अब मोह का हो
बोही मानावा रे दोस्त मानावा
कोईनी पारी इसे पाउछोडावा
दिल रहे रोहते वो
भीन भर बाबो सोन साहत रहे