हम दुनिया के चक्कर में पड़े थूपा न गुस्साई जाएं जी जाना गुस्साई जाएं चाचा न रूठ जाएं
इनको मनाने के चक्कर में जो है सारा जीवन इन ही में बरबात कर देते हैं हमारा और सही चीज ये है कि इनके चक्कर में मत पड़ो
उनको मनाओ अगर वह मान गए वह आपके हो गए ना तो यह संसार के जितने रिस्ते नाते हैं साहब आपके पीछे
खड़े रहेंगे कि जैसे ही केवट ने देखा इतना बड़ा परिवार हमारा तो केवट भी बड़ा चलांग था कहा रुको
ऐसे लिया वह कठवतुआ अब ऐसे अजुली में इसे जल ले कुछ किया कुछ गिरा दे तो घरवालों को जूठ का भेद है नहीं
है अब देवताओं ने देखा राम राम सब जूठा कर दिया तो देखते ही देखते जो वास्तविक परिवार था वहीं रह गया
था कि परिवार गायम हो और उसके बाद महाराज अपनी नौका में बिठा लिया और बिठाने के बाद रागवेंद्र सरकार
को कभी इस किनारे ले जाए कभी उस किनारे ले जाए दो तीन बार ले गया है और अब हमारे आएक लोकल के कभी
वत्वव करते वो बड़ी पुरानी रचना वह गया करते दो हुए सुना तो आगे बठ रहा हूं
कि मुरे राघों कि जीवतने रेंगे पार और
कि मुरे राघों कि जीवतने रेंगे पार और रेगंगा मैया � uncle हो जाओ
और
कि जब होती।
होने का स्राफ दिया ना तो पूरी नसा उतर गए रोने लगे सरकार चमा कहा जाओ तुम दैत्य होगो होगे तो तुमको
दैत्योनी से मुक्त करने के लिए परमात्मा अवतार लेंगे तो वही कस्चप जी महाराज जिनकी दो पत्नियां हैं
दिति और अधिति दिति पुमान दैत्य है कि एक नियम बनाया गया है कि जैसे सोने का समय क्या होता है रात्री होता है
कि अमाली के दिन में नीद आए था है तब का भोजन के बाद घंटे आधे घंटे है कि उनके सरीर के अंगों को अस्पर्श करने लगे
कि कस्यप जी बहुत समझाएं लेकिन वह मानी नहीं अंत में कि वासना तृपति के बाद उसको ज्ञान हुआ कि बहुत
गलत कर गए संध्या का समय है क्यों क्योंकि माराज संध्या का समय भगवान संकर और पारवति के बिहार का समय होता
है वह भूमने निकलते हैं इसीलिए हमारे आनियम यह बनाया गया है कि संध्या के समय क्या करना चाहिए दीपक
जलाओ पूजा करो भगवान देखिए जिन घरों में यह सब होते हैं उन घरों में लक्ष्मी हमेशा बिराज मान लेते हैं
कि माराज
माराज कालांतर में कहानी शम्मते घर घरितम सखेतम छहिश्णु माया मजसू करस्या वही हिरणल्याग चोहरणा के
गंदगी में देवता जाए कैसे उन्होंने सूखर का स्वरूप धारने के जैसे माता पिता नहीं जब बच्चा छोटा रहता है तो मां क्या करती है
कि माराज बच्चे की गंदगी मां अपने हाथों से साफ करते हैं कि इसीलिए तो कहा जाता है हमारे यहां इस्तुति बोली जाती है ना
है कि अध्वमीव महता चतिता थे तो मेरे तो मेरे अब इन दोस्त यह शक्र आध्वमीव तुम्हारों आध्वमीव जर्वंभ मां अध्वमीव माता
कि जैसे मां अपने बच्चे का
पालन करने में बिल्कुल किंचित मात घ्रणा नहीं करती है कि जगत के कल्याण के लिए परमात्मा ने शोकर का
स्वरूप धारण किया है और लेकर के जब प्रधवी को चले ना है कि तुम्हाराज रास्ते में हिरणल्याक्ष को जो
भागता चला तो डौढ करके आ गया है और भगवान से बार-बार कहने लगा हमसे युद्ध करो हमसे युद्ध करो हम से
युद्ध कर अर्व मुद्दी बगवान ने का नहीं नहीं रहने दे देंगे ए भाईया जाने भी युद्ध बचाना चाहिए
जो बलवान व्यक्ति होता है यो युद्धों को बचाता है एक बात
और ग्रामीन भासा में अगर कहा जाये तो हम बताये कहे भगवान कह रहे थे
देखो पहले तो जगड़ा कभी नहीं करना चाहिए
और खास करके अगर आपकी पतनी आपके साथ में हो
तो माराज बिलकुल कभी जगड़ा करना माँ
अब आप कहेंगे काहे देखो भाई आकेले अगर बिवाद हो जाये
मार लीजे मार पीठ हो भी गई
तो दूई आपो मारे चार मार खा लिये
कोई बात नहीं घर चले आए
अब अगर पतनी साथ में है
अब आप करारी गए हैं
अब कोई बात हो गए है
और जगड़ा हो खाएंगे घर में जीवन भर बोल नहीं पाएं
थोड़ा सा आवाज तेज होगी तुरंते कहेंगे हाँ हाँ बस
हमको पता है फिर करारी में इतनी आवाज नहीं निकली
इसलिए अगर चार बात भी
कहना तो उनसे कहते तो भाया हाँ Houston
से कमजोर है है तो बगुप।
सूकर महराज के उन्होंने किसको लिया है प्रदिवी
को प्रदिवी कौन है विश्व नुभ गईन बाहर मेड़ंग
इन अभार तुष राया द्यां बिश्णु की पत्नी है ना तो भगवान ने का यहां हर रे यसमा ध्यान रगाय ग्राम अशंद गाउं
कि भगवान को उन्हें गाली दी तो भगवान ने भी गाली दिया है लेकिन गाली इस तरीके नहीं गाली शाहित्यक गाली
भगवान कले भाई मैं भगवान को उस नहीं कर तो रेगलेंग सबसे करो कमजोर तैसु की से माना जाता है भिरं को ना
मैं
है तो भगवान को दब उसने कमजोर का इस तरीके भगवान ने का अवर भाई आप तो ग्राम सिंह हो
ग्राम सिंह की से कहते हैं गांव के से रुके अग्गाउं में सेर कौन होता है
है अब बताइए ना वकील साह जाओ का सेर कौन कहते नहीं कि अपने गांव में कुकरो सेर होते हैं कहते हैं ना
कि एक बार यहां के बच्चों के लिए ताली बजा दो कि अरे तेजी से बजाओ कि जय वह चाहिए तेरी आवाद लगा देते
हैं कि इतना माइक लगने के बाद भी सब जब जाता है दो बार भगवर्नाम संकृतन तवारा