शामी तनहा तनहा सी दूपेरी दुन्द लाई है
सूर्ज उखड़ा उखड़ा है साया न परछाई है
यादे पेरी हर बारी पीके प्यास बुज़ाई है
देख उदर न जाए जो रिष्टों की तुरपाई है
गेराया जाड़ा है छोटी रजाई
किसको पुकारू क्या तुम्हें दूहाई
सारे छेले ठगे ना है कोई सगे दिल न लगे
भाई न परदेस
भाई न परदेस
भाई न परदेस
शामी तनहतन हसी दूपेरी दुंदलाई है
सूरज उखड़ा उखड़ा है साया न परछाई है
यादे तेरी हर बारी पीके प्यास बुज़ाई है
देख उदर न जाए जो रिष्टों की परपाई है भाई न परदेस भाई न परदेस
भाई न परदेस भाई न परदेस
खुड़ दूरासा दिल उड़ासा फिरता है लड़ खड़ाता डगमगाता चल पड़ता है
सरसराती एक जरासी आथ भी जो सुनू तो हांतू आये अब लगता है
क्यूं छोडा आंगन क्यूं छोडा तेश साजन को दे दो रिसंदेश
मैंने सुनी न क्यूं आकर वोढ़ाई
अपनी की की क्या दू मैं सफाई
सारी छैली ठगे ना है कोई सगे दिल न लगे
भाई न परदेश
भाई न परदेश
भाई न परदेश