प्रदाश्चेंज दाखना लगता है
आप कुछ मोटना खुळा हैं
इस बारिशों को देखो और सोची फिर सनप
ये जो बूद है टब किया कुछ सेवर कहते है कुछ नसम
मेना सोच के ना लिखना चाहूँ नाही तेरी बारेबार
ये घड़ा बहराम है
ये क्या है खेल है वक्त का जो सत बनी दगती है
रखतसे जो तेरी वाक्यो जल थे कुन बहए कते है
मैं आदी मन से लिखती है नाजो दिल के मूपी वार
पर में आँके बंदा करता हो रत इसको ही अप देखते है
गज़िया जह कते जो सोचे तेरी बारे
जो बारिश हो रही है जो एमान में दुख मारे
जो गड़ के बिजली बादलों से तुम को कुछ बढ़ किये
रखता मैं है क्या आलऽपास है जो तुम्हारे
बादा आ आही तुछ पे तुम मैं दुनया से भी लड़ चुखा
वो आई कि शायद वापस इस बाद कितन अड़ चुखा
मैं तक चुखा इस ओचिगे मेनोचे दिल मर चुखा
मैं गड़ चुखा रे कोशिश महुलू बारे तेरे पड़ चुखा
मैं गड़ तर दिल से ख़ुश मेरे साथ आगी आप ओँ
जो भैंते कुण दर्दों से वो दूब पण की पाप ओं
वो कहते लिखना तेरा छूड़ा छूड़ा पर ओं पाप ओं
मैं कहता लिखना मेरा तुछ पे लगता मुझ वी शाद
अगर तुछ से बुझें क्यों बेवा जाएँ
इस सजा से रिखा हैं क्यों नाएँ
बिहार में कहाँ एक ब्यारे एक दर्धा
जो समझें तुम ये मैं वो बुदाएँ
मैं सोच के बुरा ना सोचो जो भी तेरे पास हुई
जान करे भी खुशी के बीबा मुसे तेरा खास हुई
नरास हुई दूर्डे फेर भी तुसे ना नरास हूई
बास जो ख़ियाँ तेरा दृबे खुश में जास हुई
तुर रहता है मुझ में ऐसकी जे दूर तुछ दियान हूई
अब देखता हूँ तुछ को ऐसे तुछ में कुछ दियान हूँ
मैं लाज़मी हूँ खुदे ही नकार तेरा मानूं
कि आज भी को प्यार तुमसे ना शरम ही आना हूँ
मैं सोचता कि रोजन की ये दूर हूँ नरास हुई
तेरे बिये बेच जुके कोई देगा ना ही सादुगी
जिसमें किसी और का पर खोर तेरे बात थी ना बाज
आई ये बात ही और ना आई मेरी आशिकी
तो क्या दिल लिखना इसका छूट छूट कैसे हो बला
जो प्यार से भी बढ़के मानता है इसका फोकला
बगवान मेरा जाड़ी तुम ही माने की ना हो भला
मैं बात करता तेरी सब जो पूझा करके मैं चला
तेरा भी ये सच है मैं गम में लिखती आखरी
पर छूट तेरा छूट है कि सच ना एक बात ही भी
दिल भी किता प्यार के अगाज में
वो साथ भी वो साथ तेरे लिखते कैसे वैसे लिखते आज