बिल्वु पत्र क्या है? बेलपत्र की महिमा बहुत अपा आ जाये महराज। भगवान भोलेनाजी को बेलपत्र जो चढ़ा देना हो उसकी महिमा बहुत अपा रहे है।
और तीन पत्त वाले बेलपत्र ही चढ़ाया जाता है।
क्योंकि भगवान श्री भोलेनाजी को त्रिलोखी कहते हैं।
वो तीन गुणों से परिपूर्ण है। रजो गुण, तमो गुण, सतो गुण से। उनका त्रिशूल भी तीन
नोक से बना हुआ है। उनके मस्तक में त्रिपूर्ण भी लगता है। उसमें भी तीन लगी रहे होते हैं।
तो इस प्रकार से भगवान भोलेनाजी को तीन पत्ते वाले बेलपत्र बड़े पसंद है।
बेलपत्त की उत्पत्ती कैसे है। एक बार आ रहा है।
माता कार्वती जी तभ कर रही थी। तभ करते करते उनके
शरीर से जो है वह पसीने के बुण्द जो है। वह जमीन पर गिरी और उससे ही
वेलपत्त की उत्पत्ती हुई।
बेल पत्र माता लक्षमी जी और भगवान भोलेनाची को बहुत पसंद है
जो मनुष जो भबक, भगवान भोलेनाची को बेल का पत्र अर्वद करता है
माता लक्षमी जी को बेल पत्र अर्वद करता है
उसका पुन्य फल उसे स्वर्ण, रजत, मुंगा, मोती इत्यादी बड़े बड़े के जो वस्तु है
उनका अरपन करने का पुन्य मात्र बेल पत्र चड़ाने से मिलता है
बेल पत्र अरपन करने से मिलता है
तो आप कभी भी माया लश्मी जी के मंदिर में जाए
प्रभू भोले नाची का दर्शन करने जाए
तो बेल पत्र अवस्य अरपन करें
तीन पत्र वाला बेल पत्र
बेल पत्र आउसदी भी है
अगर आप भगवान को बेल पत्र अरपन करते हैं
और उस बेलपत्रों को अपने जेब में रख लेते हैं या अपने निकट रखते हैं तो सदेव सकरात्मकता बनी रहती हो और बहुत अच्छा परिणाम उसका मिलता है
जब सबुद्रमन्थन हुन माहराज क्यों चड़ा जाता है भगवान होलेट को बेलपत्र करता है जब सबुद्रमन्थन हु고 वह तो सबुद्रमन्थन से
इस हलाहल जहर को आपके अलावा कोई ग्रहर नहीं कर सकता। भगवान भोलेनाथ जी ने फिर से सारे देवताओं को हित के लिए उस विश का पान किया। विश पान जैसे ही किया।
तो उस विश पान से भगवान भोलेनाथ जी का शरीर जो है वो गर्ब होने लगा। शरीर का तापमान बढ़ने लगा।
लेकिन प्रभु का शरीर अभी अत्तदिक गर्व था तेज में था उस गर्वी को शांत करने के लिए और विश की विशैला है जहर है तो उस विश के प्रभाव को कम करने के लिए सारे देवी देवतामाता भगवती पारवती सब ने बेलपत्र भगवान भोलेनाथ जी को �
खिलायायाययि क्यों क्यों कि बेलपत्र बताइएं और बैल पत्र में इतनी शक्ति है कि वह जो भी भिषान भजा रहा है
शरीर जो है मू तेज़ नहीं है कि शरीर में अभी टेजा निकाल रहा था तब क्या
किया जाएगा कि क्योंकि बहुत अधिक गर्भी लग रहकर प्रभु का शरीर भी चल रहा है तप रहा है
फिर से भगवान बोले नाक जी को जल अरबण किया जाता है
कभी भी आप भगवान बोले नाट जी के मंतर में जाए
बेल पत्र चड़ाने के बाद जल चड़ाना ना भूले
बेल पत्र चड़ा आए बेल पत्र चड़ाने के परशाद फिर से
उस पर गंगा जंग आप चड़ाईएगा
तो ऐसे भगवान भोरेलाजी जिनकी महिमा परम पार है
हमेशा परोपकार की आलेवों की रक्षा की मराज
सदेव के लास्पे