नैन नशीले थोड़ी कातिल दिल पे मारे डाके
कित तैल्याई सादगी तनी पुछो क्यों कर जाके
लाग डर उसकी घूरी तैं होता ना मेरा जिगरा
प्यार मैं बागल हो गया रे छोरा मैं बिर्विक्रा
उसके नूर के आगे यारो चांद भी फीकाला कैसे
गुस्सा उसका जहर जिसा पर फेर भी मिठाला कैसे
इसने मैं समझाऊं क्यों कर मन मेरा ना टिकरा
प्यार मैं बागल हो गया रे छोरा मैं बिर्विक्रा
जाल दिटी ना उसने दिख जो दिल मेरे मैं उठी थी
सूट था काला पहरा उसने मड़कन आली जूती थी
जाटनी वा हरियाने की दिल मेरा उपटिक गया
प्यार मैं बागल हो गया रे छोरा मैं बिर्विक्रा