क्यों रात दिन
सुना सुना लगे ये जहाँ
क्यों हर घड़ी चाहू तुझे अब बेपना
है ढूंडती मेरी नज़र
मुझे ही करके बेखबर
कहा है को गया ये मेरा जिया
बेकरार है
ना जाने क्यों दिल मेरा क्या खुमार है
है चाया ये केसा नशा
बेकरार है
ना जाने क्यों दिल मेरा क्या खुमार है
है चाया ये केसा नशा
मुझसे करती तलहा राते धीमे धीमे तेरी बाते
सूरज के जैसे किनन दस्तक सी दिल में पवन देती है क्यों ये तू बता
क्यों अब मुझे रुका रुका लगे आसवा
क्यों हर जगा लगता है तेरा साइबा
ए ढूंढती
मेरी नजर मुझे ही करके बेखबर कहा है खो गया ये मेरा जिया
बेकरार है ना जाने क्यों दिल मेरा क्या कुमार है
है छाया ये कैसा नशा बेकरार
मुझे नजर मेरा साइबा
मददं मददं तेरा चेहरा
करता है क्यों मुझे पर पहरा
आजा के अब तो मुझे
परक़ेता
बेचैन दिल ये कहे मुझसे कभी न दूर जा
है संग मेरे तेरी ही आदों का कारवा
ये प्यार का कैसा है अजब इंतिहा
है ढूंडती मेरी नजर मुझे ही करके बेखबर
काहे खो गया ये मेरा जिया
बेकरार है न जाने क्यों दिल मेरा
क्या कुमार है है चाया ये कैसा नशा
बेकरार
बेकरार
बेकरार
बेकरार
बेकरार