दिलवा बस्तिर मेला गाहिला हो जैबू मसहूरदिलवा बस्तिर मेला गाहिला हो जैबू मसहूरबस्तिर मे आरि खाला ये प्यारि हो जैबू मसहूरबंजली घुरानी कट्वोर्तु चाने प्यारि मिले भर्पूररुधौली वढ़नी पर लिखवा आहिला हो जैबू मसहूररुधाउनी वड़नी परली खवाईला हो जाई वो मसहूरआरे चाहबु जवने गोरी तोह के मिलिये जाईआरे किसे मत के फूले तोह खिलिये जाईबंबे दिल्ली गुमे के पिली काई लग बूटूरबस्ति के नाम पर स्टागाराम पर संकासे जैगूजूरजिताही वड़नी परली खवाईला हो जाई वो मसहूरजिताही वड़नी परली खवाईलाआरे वाइरल हो खेबा लाया भी बाटे उमिरियाआरे काहे ले रतने अउरियानन्द के नजरियाकेहु न तो के आखे दिखाई हो खावोना मजबूरसुन्ते ही न महवा हो जाई कमहवा हो जाई साभेदूकि दिलवा पस्ति मेला गाहीला हो जाई बूमसहूरकि धूमारी वर्हनी पर लिखावा हीला हो जाई बूमसहूरप्रस्तुत्र प्रस्तुत्र