बसंत बेलाबसंत बेलादूप बेला, अनूप बेला, नई तरंग की, नई उमंद की बेलाधीरे बोले पवन जखोरे फूल से बग्यन मेंआया बसंत है दुख का अंत है, सुख है जीवन मेंकौन है छुपा नैनमालूपा बसंत बेलामेध से बाल है, फूल से गाल है, बीजली चाल है चमकाएबीजली चाल है चमकाएनेन मिनल से होट कमल से सोले शरद है शरमाएपग पग चलना प्रीत मांगनाकैसे तन दो एक जिवन हो कोई समझाएये जोबन बेला मन अकेला आनंद कैसे पाएबसंत बेलाआए ना पाए अंग या भाए क्यों फड़ तेरी गोरीकैसे ऐसा शुब है संदेशा आए जीवन में देवीएक है कोई मन में सोई उमंग जगावे गोरीअंग अगन है संग लगन है वो है जोबन देवीआए ना निंदियांसारी रतियां ऐसा हुए क्यों तेरी गोरीजो है रिदय चुराए प्राण समाएउसी से सुने लाओ देवीनैन न जाने कि अबहचाने क्या करना है गोरीथोड़ा अकड़ के थोड़ा जकड़ के गंड दो उसको देवीबेला में हटी मुशाबी इहां बसंत बेला स्वेद में है स्वेयर में बेली केवलीों से युविद केवल � Monteलुस से से सेयर में देव देवी भिलो barस्वेद में हटी मुशाबी इग्रयां एन रोटत जो दिया जो फ्रू ईन से सथी शूनकारी
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