उस्ता गेदुडा
तो कलांब दो बस हैं बात उझे प्यार रिठोसी
ही चार शहर चे तो जिमह भूज़ गाल समझ में नती आचे
उनिके हिए चे जिमह यार जानडो रापो केड़ हुआ
चार तो चे बस कै बस मुझ प्यार तो जेखा
रोजने आजार तो जेखा
बस कै बस मुझ प्यार तो जेखा
रोजने आजार तो जेखा
जिलर बाती तार तो जेखा
बस कै बस मुझ प्यार तो जेखा रोजने आजार तो जेखा
चंगी मुखे तो चोटनी आ यहाचनाई तो खपनी आ
बस कै बस मुझ प्यार तो जेखा रोजने
आजार तो जेखा
ओसाल
मुहमंद बस को बैंजे आरा
बात थाई हुआ
आज तुबे में स्राम है ते तो
प्यार ते
वरिन तुझे तरते ही दुसी तोखे मै यारो को नमरी दुसे
वरिन तुझे तरते ही दुसे तोखे मै यारो को नमरी दुसे
वह महन वीचार तुझे का बस कै बस मुझ तौर तुझे का रोजने आजार तुझे का
चंगी मुखे को तोटे दिनिया यहाँ तंगाई तोखा पुनिया
बस कै बस मुझ तौर तुझे का रोजने आजार तुझे का
पहुँ सादक ही सबानी हैं,
गुलांब शुदी हैं,
हाजी को करमे सरोबत
आखरी में तरामे शान ते दो
हानी तजो मुझ ते पके तालो,
वारी नखन तुछी तुही जो नालो
बस कै बस मुझ तौर तुझे का रोजने आजार तुझे का
बस कै बस मुझ तौर तुझे का रोजने आजार तुझे का