बरसात के साए और तेरे बिना का घम
हर बून लगती है जैसे तेरी आदों का धम
छट के नीचे मैं अकेला बस खमोशी साँ
तेरे बिना हर पल है अधूरा और उड़ा
बरसात के साए तेरे साथ जीना चाहूँ
तेरे प्यार में हर दर्व महसूस करूँ
बस तु वापस आजा यही दूआ है मेरी
तेरे बिना ये रात है अधूरी और तनहाँ
हवां में तेरी खुश्बू कहाँ
हर बून लगती है जैसे तु दूर हो
बरसात के साए
तेरे साथ जीना चाहूँ
तेरे प्यार में हर दर्व महसूस करूँ