राम चंडर संकर का भजन कर
सिव के भजन कर पारवती
और खोल पलग बम दिखे नाँच जी
आज उज़िली बैठे रहो में
रटो राम का नाम तुमी
खोले पारवती संग सुनावे
ये संकर बोले लहरी तंभूल चेली का कहना छोडे नात जी
अब कहो गी घर की नारी नारी कहो तेरे संग चलूंगी
जनम जनम की रहूंगी दासी तेरी चाने भोट पी पियां प्यां हूंगी
तुमी पीवेगा तेरा पीवेगा नतिया बजी खुछी पीजाऊं सारी अगर
बम बम बम लेवी तंभूल खोले पारवती संग सुनावे ये संग चलूंगी
कहें लगे सक्कर भोले
तेरी एक सुनेना मेरी पारवती
चंद्रमुखी है पारवती
वोई सुरजमुखी लड़का ढूढो
जाँ बैठी राज करें गौळा
तेरी बंगीत लंभी सैर करेंगी
इसीस महल रहने को भी पांगे
गरम नरम बोधन मांगेगी
अरे कहां सलावे रसीउं जोगी
जुझराती लहइँगा मांगेगी
पणने को तुसालूरी मांगेगी
चलती भर बेहना मांगेगी
चल पछली बाजू बंदन गरीआ
पाऊं में पायल मांगेगी कहां सलावे सिवलहधी कोई आठ नहीं बाजार नहीं
कोई सेख नहीं सौखार
नहीं मैं तो राजा का लड़का भी नहीं
अगर बंदन लहवी बंदन लहवी पणने के सुवलहवी
कैल लगेवा पारवती मेरे एक संकर बोले लहवी मैं कही बार पहचाई रे नाचती
अग भगल की मेनाई है मेरा भगवा पीछ लरूंद नाचती
देरा धंग सोई मेरा धंग है रंग में रंग मिला ले रे
ए संकर बोले लहवी किसीने माँगा थूद पूट रे
किसीने माँगा धन दावलत रे मैंने माँगा हसिव लहवी
तेरे नाम के बरत किये हैं तुमें बरूँगी बोले लहवी
लहवी
खेल लगे संकर बोले मेरे दाया पयाजे
विसर विराज है मात चंडर मा विराज रहा है
मेरी चटा से गंगा भैती है खबरू पुप दल कर संकरनाथ जी
असी बरस के बुदे बन गए और बुदे बन कर बैच गए जी
और कहे लगे गोराजी से ये बारा बरस के पार्वती
असी बरस के सिमलेली मेरी गईरे जवानी आया बुधापा
दगमग दगमग नाड खले मेरी बढ़ा बल्क बढ़के नाडी
मेरी लचर पचर थोड़ी कमर करे मेरा गोटे से गुड़ा लगता है
मेरा रूप पयंकर देख देख दर दर के मर जा पार्वती
कहे लगी वा पार्वती उतर देने लगी भोले से
ए संकर बोले लहरी मैं जान गई रफ एचान गई
अर छन में पूधा छन में ताला छन में भी कोड़ी बन बैठे
है आप रूप अंतर ग्यानी नीला का पार तेरी ना आया
अगर बंबंबं बंबंबंबंबं लहरी अम भूई अगर बोले पारव के पाड़ी सिमराज लहरी
हरी गवरजा पारवती क्यूं संकर के ख्याल पड़ी
क्यूं बोले के ख्याल पड़ी राजा का लड़का ढूटो
जा बैठी राज करें गोरा बोले गवरजा संत सुनावे
औरोणाना Slova
card ke
5000 multiplayer
बोले कवर्चा संत सुनावे
हे संकर बोले लहरी
तेरी लीला जग में न्यारी
लीला का बार नहीं पाया
सब नाखों का नात है संकर
हे बोले अंतरयामी
वा पारवती संकर बोले नात महागेव आकम इन ही ख़जाने में तीन
लोग बस्ती में बसाएँ आप दहे बीडाने में जब ब्रह्मा जीने
रची सिश्टी ओर लगाई तुलवाही ओर धूरदर दर्ग से जूड़ा उत्रा
पैटा कर दिये नर्नारी तंबू
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