नारजी की बीला
बोले सिवलहरी
आशिवलहरी रे पवाशिवलहरी
पंवंलहरी सिववलहरी सब पाये
बगड़पंवशिवलहरी
बगड़पंवशिवलहरी लहरी सिववलहरी सब पाये बगड़पंवशिवलहरी बगड़पंवशिवलहरी
सिवलहरी रे बाबा सिवलहरी
सिवलहरी हरिरे बाबा
शंकर तेरी जणाते निकली है दंगधारा
शंकर तेरी जणाते
निकली है दंगधारा
काली चटा के अंजर जिम्दामनी उदाला शंकर तेरी जणाते निकली है दंगधारा
आलिश्यत्र मापी राजे मुन्डो कि मालंराजे
रिशीयों की प्राण दानी
गीवों का है सहारस
संकर तेरी चताजे
भी यह गंगण गान
तीनों की प्राण धन हो
तीनों के प्राण
दानी गीवों का है सहारस
तीनों के प्राण दानी गीवों का है सहारस
वो यह तीरी चताजे
नमामिशंपों
नमामिशंपों
स्रिवाद्यावद
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