दुनिया लाख लगावे पहरा लाख जे उंच दिवार बनावे
इश्क के आच उठे जब जब तब चाहत और भी बढ़ती जावे
चाहत और भी बढ़ती जावे
इश्क के आच उठे जब तब चाहत और भी बढ़ती जावे
इश्क के आच उठे जब तब चाहत और भी बढ़ती जावे
इश्क के आच उठे जब तब चाहत और भी बढ़ती जावे
दिल बर को दिल पहल पार दे दिया
इश्क के आच उठे जब तब चाहत और भी बढ़ती जावे
के रस्ते चलके दिल में उतर गई
पहली महोबत जिस पर पहली नजर गई
मिलते रहे जहाओं से पीपल की छाओं को
पन पाय प्यार जहाओं से माझी वो नाओं को
धड़कन हसार की करी हम शुक्रिया
जिस दिन ये दिल पहली बार दे दिया है
दिल बढ़ को दिल पहली बार दे दिया
जिस दिल पहली बार दे दिया है
चुनरी मेरी उड़ी उन दह की हवाओं को
पन घट बुताल तलईयाओं नह की फिजाओं को
वो शहर वो गली वो दिल कश नजारों में
होती थी दिल की बातें मिलके इशारों
हर इंतजार के करी हम शुक्रिया
जिस दिन ये दिल पहली बार दे दिया
दिल बढ़ को दिल पहली बार दे दिया