यह है कौन?
कन्सेन प्रहितागूराव
पूतनावाल घातनी
सिस्चार निगनंती
पुरग्राम भ्रजाधिस्वौ
इसका नामी पूतना है
पूतना
जो किसी को
किसी के भी पूतों को पकड ले
किसी के भी बच्चो को मार दे उसका नाम पूतना जिसके कोई पूत ही ना हूँ
बालग हातनी
बालगों की हत्या कर दे महराज
एंसी बालग हातनी पूतना ने आज ऐसा दिव्यस रूप बनाया
और जो पहुँची
का बेन तू खूब आ गए
अब भी लालाय में जुला में सुला के ही आ आई हूँ पालका में
तू जा करके धर्शन करले खिलाले
मौका पाही रही थी पूतना अंदर प्रवेश कर लिया
और जो ही प्रवेश किया भगवान पालने में लेटे हैं
पूत्ना मोहरी क संगorders
आज हम स्री गनेष करना है। fen se bhain n Hae sabsar vann karen
राख्षिये से हमें परारमे करणा स संगर।
rahaakshiye se hamein praarma karna sangar.
मंगलाचरण कर रहे हैं हम
इनसे ही हमें प्रारम्ब करना पड़ेगा राक्षितों का संगार
तो गलेज जी को प्रणाम कर रहे हैं
अथवा
भगवान कह रहे हैं हम तो आये थे बृज में माखन मिश्री खाने
और पूत्ना मोसी हमें जैर पिवावे आगे
वय로ख है
वो कारण बताये हैं लेकिन भगवान ने नेत्र बंद कर लिये।
अब जैसे ही ये पास में पोँची,
लाला को गोधी में उठा लिया,
और जैसे ही गोधी में उठाया,
तो इस तनों में अपने विस लगा लिया है इसने,
और स्तन पान कराने लगी।
और जो ही भगवान को स्तन पान कराया,
भगवान ने भी कहा बढ़िया किया मोसी जी आपने,
गाणा कराव्य भगवान प्रपीड़ियत प्राने समम्रोसन सन्वितास्पिवर्ण।
जो भगवान ने दूद पीना चालु किया,
सब्से पहले तो कूत्ना के स्थनों से दूद को पीया,
दूद पीते पीते रक्त का पान किया ziemlichy
प्राणों को खेचना भगवान ने चालू किया
और उतना केती लाला छोड़ छोड़ छोड़ छोड़
भगवान कहने लगे मोसी जी हमें छोड़ वोने आए
हम एक बार जिसको पकड़ लेते होंसे कभी फिर छोड़ते नहीं हैं
इसलिए हम नहीं छोड़ने वाले और जैसे ही भगवान ने प्राणों का संचार किया
इसने बिसाल काय रूप बना लिया और जैसे ही बहार
लेकर कि बिसाल काय रूप में उपर की और उद्धद हुई
यह सोचने लगी क्या है और जो ही भगवान ने प्राण का संचार अब रुद्ध किया
सीधी धड़ाम से जाकर प्रत्वी पर गिर पड़ी और इसका देहंत हो गया
बोल भक्त वश्चल भगवान की जैए
इधर मैया को पता चला
कनिया को कोई राक्षसी आयी थी ले गई एक छोरा ने जाकर पता ये
मैया मोई ऐसो लगे की जा अंदर गई थी देहरी पर
देहरी में जाको पाउन लगो होगो और जा सीधी गिरी
सात कोश तक मारा जितने व्रक्षत सबके सब चकना चूर होके गिर गए
देखिए यहाँ पर पूतना का मरन नहीं लिखा
क्यों किया?
क्यों किये क्या करके आई थी?
मा का रूप बना करके आई थी।
तो मा के समाने ही से गति परदान की है गोभिल ने।
अहोवकीयं स्तन काले कोटं
जिखां सयापाय यदफ्य साद्वि
अरे ऐसा दयालू और कौन होगा प्यारे?
कि जो मारने के लिए आई थी उसे भी भगवान ने गति परदान कर दी।
उसके अंदर भी गुण खोज लिया। कौन सा गुण?
बोले मा के समान इसने मुझे स्तन पिलाई इसलिए मोसी इनको बोला
और मा के समानी भगवान ने गति परदान कर दी प्यारे?
हाँ?
ऐसी पूतना का उध्धार भगवान ने किया बोले ये भक्त वश्चल भगवानी के
ऐसे भगवान के बिविद रूप हुए
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