खत्मे रुसुल काबाई मक्सूदुतुवी
दर सूरते हर चे हस्त मौझूदुतुवी
आयात कमाल हक आयानस्त बतार
आयाजात के दर परद निहाबूतुवी
सुहाने रातती
सुहाने रातती
सुहाने रातती
और पुरसुकों जमाना था सलला
असर में डूबहुआ
जजबे आशिकाना था
असर में डूबहुआ
उने तो अर्श पे मैंभूब को बुलाना था
अवस्ति दीदगी मेराज का बहाना था
सरला मकांस तलबूई
सरला मकांस तलबूई
सुहे मुणता बुझले नवी
सरला मकांस तलबूई
सुहे मुणता बुझले नवी
एकमान हुसन का मौझदा
कि फिरा के हक भी नसैचका
सरला मकांस तलबूई
सुहे मुणता बुझले नवी
शब मेराज लिया अर्श वरेपर बुलवाए
शब मेराज लिया अर्श वरेपर बुलवाए
सद्माए हिजर भुदा से विगवारा न हुआ न हुआ
सरेलामका से तलब हुई सुरेमुलता वो चले नवी
सरेलामका से तलब हुई सुरेमुलता वो चले नवी
सरेलामका से तलब हुई सुरेमुलता वो चले नवी
कोई हत्व है उनके गुरूज की बलवल उलाबे खमालेही
कोई हत्व है उनके गुरूज की बलवल उलाबे खमालेही
सरेलामका से तलब हुई सुरेमुलता वो चले नवी
खैरुल्वरा सत्रुत्तुका नजमुल्वता नूरुलुला
शमसुत्तुहा पदुरुत्तुचा शैनि महम्मद मुस्तफा
कोई हद है उनके उरुज की
आकारवासा लारदी यारैमतल आलमी
आमुक्तताए मुसली आपेशवाए अम्बिया
जन्नत निशाने कूवतो वश्यम्स इमारूवतो
वल्लैल वस्वे लूवतो खूबी रूयत बल्द
द्वा इसमे तो इसमे आजमी
जिसमे तो जाने आलमी
जाने तो फखरे आजमी
शैने तो शैने की बिर्या
कोई हद है उनके उरुज की
कोई हद है उनके अरुज की
जो गया है फर्क निशानी
अर्श से अर्श तक खुब राग ले गया पे धड़क तब के जमी बर के पलक गये नीचे पाउ से फुर सरक लट जुन फुटी जो गयी लटक तो जान सान गया महक
होई मास्त बुल्बुले इसका दर्ब तो ये गुल्चे बोले चटक चटक कोई आद है उनके आरूजी की
कोई आद है उनके आरूजी की
कै गर्स चल के वो राग बैर शब वसल रुख से हुई सहर ये सफर तक खूब तक खूब तर
कोई हद है उनके अरूज की, कोई हद है उनके अरूज की, कोई हद है उनके अरूज की, कोई हद है उनके अरूज की, कोई हद है उनके अरूज की, कोई हद है उनके अरूज की, वलगल उलाबे कमा लही
कोई हद है उनके अरूज की, वलगल उलाबे कमा लही
येही अब्द and येही इन्तहा ये फरोग जल्वाये अग्नुमा
येही अब्द and येही इन्तहा इे फरोग जल्वाये अग्नुमा
येही अब्द and येही इन्तहा इे फरोग जल्वाये अग्नुमा
येही अब्द and येही इन्तहा इे फरोग जल्वाये अग्नुमा
के जहान सार चमक बुदा कशफ तु जाब जमाले ही
रुख मुस्तफा की ये रोशनी ये तजलियों की हमावी
रुख मुस्तफा की ये रोशनी ये तजलियों की हमावी
के हर एक चेस चमक बुदे कशफ तु जाब जमाले ही
न फलक न चाद तारे न सहर न रात होती
न तिरा जमाल होता न काईनात होती
के हर एक चेस चमक बुदे
के हर एक चेस चमक बुदे
कशफ तु जाब जमाले ही
ओ सरा पा रह्रमत की गिबहिया के हर एक पे जिसका करम हुआ
ओ सरा पा रह्रमत की गिबहिया के हर एक पे जिसका करम हुआ
ओ सरा पा रह्रमत की गिबहिया के हर एक पे जिसका करम हुआ
ओ सरा पा रह्रमत की गिबहिया के हर एक पे जिसका करम हुआ
ये कुराने पाक है वर्मदा, ये कुराने पाक है वर्मदा, हसनत जमीयों फिसा रही।
ये कुराने पाक है वर्मदा, हसनत जमीयों फिसा रही।
ये कमाले हक मुहम्मदी, के हरिक पे चश्मे करम रही।
ये कमाले हक मुहम्मदी, के हरिक पे चश्मे करम रही।
ये कमाले हक मुहम्मदी, के हरिक पे चश्मे करम रही।
ये कमाले हक मुहम्मदी, के हरिक पे चश्मे करम रही।
सर्खनारा हुम्म spaced, हसनत जमीयों फिसा रही।
सर्खनारा हुम्म spaced, हसनत जमीयों फिसा रही।
वोही हक निगर, वोही हक नुमा, रुख मुस्तफा है वो आईना
वोही हक निगर, वोही हक नुमा, रुख मुस्तफा है वो आईना
वोही हक निगर, वोही हक नुमा, रुख मुस्तफा है वो आईना
वोही हक निगर, वोही हक नुमा, रुख मुस्तफा है वो आईना
वोही हक निगर, वोही हक नुमा, रुख मुस्तफा है वो आईना
वोही हक नुमा, रुख मुस्तफा है वो आईना
वोही हक निगर, वोही हक नुमा, रुख मुस्तफा है वो आईना