बोली गुरगोरखनाथ महराज जी की
बाजन देची मिता धूने पे गोरखनाथ
ओ तरे चुनगर बेटी
ओ तरे चिल्या की जमाद
तुरी जोत जगीरी मेरा तुट्टा जासे गातें
तुरी जोत जगीरी मेरा तुट्टा जासे गातें
बाँची जैंच विन्जान पोड़े तो हर कनातें
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तरे दूने की लेई बबूती
जब मेरे गोरे गात में उठी
मैं जुम्मी जाऊं सारी सारी राज
बाजड देची में खाँ
जब तेरा चिम्ता लाग गये कड में
जब तेरा चिम्ता लाग गये कड में
रोग दोस ना रहता गड में
ओधर दे जोधी मेरे सिर के उपर हाथे
बाथन बेची मिलता ओधर पे गोर ना आखे
असोक बगतने मीर लगादी सुन मेरे गोर खराख जगादी
आए जुम जुम के गो गाने लेके साथे
बाधन बेची मिलता
ओधर पे गोर ना