परदीप भाती गाउं चिठेन यारी में नाम कमारारे
हेरे तक्दीरों के लिखे लेक कद मिठा नहीं करते
हेरे जूट के दम पे बने महल कद ठिक्या नहीं करते
अस्मान
देखके खुला हद से
उच्छ न उड़ना चहिए
जूटे
अक्षर पढ़के उन पे अमल न करना चहिए
धोकेबाज जमाना सारा मतलब की रह गियारी
रे अपने पराये बनी के टैम पे बदले दुनिया सारी
करन बली यारी में जान रे खपकी सुन्दर भूच
रे और हे मूखी यारी अक्षबारों में छपकी