उम्र कहती नहीं वक्त नहीं है सहीयादों में आज भी उड़े हूँ यही कहींये सपना तो नहींदिल में दबी ये बाते अक्सर रुलातीहामोशी में क्यों मैं हूँ यूँ मुस्कुरातीहर खाब आखों में है बनाबदलाव खुद में ही होगीखुद को अकेले थामकर मैं चलीसमझने के खेल में मासुनियत खो रहीक्यूं दिल मेरा येतनहाई को ही चाहेअंगेरे में रूण्डता हैजीनी के नए बहानेहर खाब आखों में है बनाबदलाव खुद में ही हो रहासवालमेही जवाब इली बच का ये feeling हैएरादानेक भुराअनेलिखेदिल के येजजबात हैहर खाब आखों में है बनाबदला फुद में ही हो रहाहर खाब आखों में है बनाबदला फुद में ही हो रहा