हम भूजपूरी के लिए दार प्रखुल चुंपाईनी
अपने सभी स्रोता के बिनाम करते नहीं
आशिर्वाद का भिलासी बनी
आई बड़ा भाव से
ये भगवान की जनबुस्तों में
एक वो सोहर के भाव ले कैल बनी
सांते रहलवनी दनन्जे सिंजी
संतोष जादोजी सोनु दुबेजी
और भववा मुकेश जी
रिकोर्डिंग टिया स्टूडियो अरेडज
आशा करते नहीं
ये सोहर अपने सबन के
बड़ा मिक लागे मनमहावन लागे
भाव रहल कैसे
कि कहां आज बोले कोई
लरिया तक कहां आज
अरे
मोरी बोले कहां आज
अरे
मोरी बोले हो ललना
ललना कहां आज
बोले सहर
सवा महलिया उठे
सोहर रहो
ललना
ललना
कहां
आज बोले सहर
सवा महलिया उठे
सोहर रहो
ललना कहां आज बोले सहर
सचार Following
फुद्ध भाध्य हुसा
एक कांच मल थी
इसका सिराखिस कांच है
उधे,一點 से उधे।
ललना को खुला में बोले सहा रे सवा महलिया उठे सोहा रहो
ललना को खुला में बोले सहा रे सवा रहो
ललना को खुला में बोले सवा रे सवा रहो
ललना को खुला में बोले सवा रहो
ललना को खुला में बोले सवा रहो
ललना को खुला में बोले सवा रहो
ललना को खुला में बोले सवा रहो
ललना को खुला में बोले सवा रहो
ललना को खुला में बोले सवा रहो
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