छोड़ बाब का घर मोहे पीके नगर आज जाना पड़ा
छोड़ बाब का घर मोहे पीके नगर आज जाना पड़ा
संग सतियों के बचपन मिताती थी मैं
ब्याहा गुणियों का हट हट गचाती थी मैं
हाद चाती थी मैं
सब के मिले उड़ कर क्या पताँ
इदर निल गाना पड़ा जिक्षाना पड़ा
छोड़ बाब का घर मोहे पीके नगर आज जाना पड़ा
याद में के किन से बुलाए चली आ बुलाए चली
प्रित साथं की मन में बताए चली आ बसाए चली
याद घर थे ये घर रोई आँके मगर उदराना पड़ा आज जाना पड़ा
छोड़ बाब का घर मोहे पीके नगर आज जाना पड़ा
पहन उलपत का गेहना तुलन में बदी आ तुलन में बदी
जो ला आब्या का सकी मैं चली आ सकी मैं चली
ये था छूटा नगर इसलिए थोड़ कर मोहे जाना पड़ा आज जाना पड़ा
छोड़ बाब का घर मोहे पीके नगर आज जाना पड़ा
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