Nhạc sĩ: SEEMA KAUSHIK
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हर द्वादशी को होता है
परन्तु कीर्तन और कथा में क्या अंतर है
इसका रहस्य हमें इस कथा से प्राप्त होता है
भगवान वेदव्यास कहते हैं
कि यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन परियंत
यदि मान लीजे किसी का जीवन सो वर्ष का हो
और वो नित्य परती कीर्तन कराता हो यानि महीने में दो बार,
तीन बार,
पांच बार,
दस बार
ऐसा यदि वो दस हजार बार भी कीर्तन करवाता है
तो उसका जितना पुन्य फल उसे प्राप्त होता है
उससे करोडों गुना
जादा फल बाबा शाम की कथा कराने से होता है
जो हमारे महिंदर भाई को प्राप्त हुआ है तो
एक बार जोरदार महिंदर भाई के लिए तालियां
क्योंकि आज पाथल गाउं में इसका आयोजन करने
के लिए उन्होंने बड़ी सहर्ष स्वीकरती दी थी
आज हम जहां देखें शाम जगत में कीर्तन तो
हो रहे हैं परन्तु श्रद्धा खतम हो गई है
श्रद्धा समाप्त हो गई है वो कहते ना क्वांटिटी
तो बढ़ गई परन्तु क्वालिटी खतम हो गई
और आज प्राय ऐसा देखा जाता है कि लोग बाबा की भक्ति दिल
से तो करते हैं परन्तु दुख दर्ध हमारे जीवन में बना है
उसका कारण क्या है,
कैसे हम अपने दुख-दर्धों को धूर करें
सबके मन में यही एक भाव आता है
सब कहते हैं कि गुर्यदेव हम पूजा तो खरते हैं,
भगवान की आरधना करते हैं
जब करते हैं,
तब करते हैं तिर क्युं हमें फल नहीं मिल रहा
क्या कारण है अमे फल न मिलने का
कुछ तो कारण होगा
तो हमारी भक्ती में सबसे बड़ी तुरूटी है
कि हम भगवान की पूजा अपनी बुद्धी से करते हैं
अपने मन से नहीं करते
यदि हम बाबा को अपने मन से रिजहाएं
मन से उसका नाम लें
तो जीवन में कभी कोई कठिनाई नहीं आएगी तो इसके लिए आपको करना क्या होगा?
आप भी मेरे साथ गुन-गुनाई ये शब्द
क्या बोलना है आपको?
जैसे अपना अलारम होता है न,
मोबाईल में आप भी अपने मोबाईल में एक अलारम लगा लीजिये
और हर आदी गंटे में एक बार आपको ये बात बोलनी है
कि मेरा शाम तू है, कहिए
मेरा शाम तू है, मेरा शाम तू है
नहीं मैं अकेला,
मेरे साथ तू है
आप इस लाइन को दहराऊगे तो बाबा की कृपा आपको क्यों प्राप्त नहीं होती?
110% प्राप्त होगी हम जब बाबा की कथा सुनते हैं,
आज के युग में देखीए हम एक आदी गंटा पिक्चर को दे सकते हैं,
एक गंटे गाने सुन सकते हैं,
दो चार गंटे इदर उदर की गप मार सकते हैं,
परन्तु कल्यूख का एक ऐसा प्रभाव है कि
भगवान खुद नहीं चाहते कि आप भक्ती करें,
क्योंकि भक्ती अगर आप करोगे तो मेरे गोबिंद को आपको वरदान देना होगा,
और वो ग्यान स्वयम भगवान सिक्रिष्णने उन्हें दिया है,
यह हम तीसरे दिन की कथा में आपको विस्तार से बताएंगे.
जब उन्हें इस बात का घ्यान हुआ कि भक्ती से बड़ा कोई साधन नहीं है,
तो मेरे बावाशाम ने अपने आपको भक्ती में समर्पित कर दिया,
और
उन्हें ऐसे तीन दिव्यबाण प्राप्त हुए,
जिसकी वज़े से आज हम उनको क्या कहते हैं?
तीन बाण धारी की जैय!
तो तीन बाण उनको प्राप्त करने में भगवान की भक्ती करनी पड़ी,
तो बिना भक्ती के कोई भी चीज समभव नहीं है.
तो बाबा की कथा कराने का बोलते हैं,
कि एक करोड जन्मों में भी यदि हमने कोई पाप किया है,
तो उन पापों का नाश
केवल एक बार बाबा शाम की इस दिव्य कथा को,
जो कोई भक्त बैट करके श्रध्धा के साथ सुनता है,
इसका श्रवन करता है अपनी श्रवन इंद्रियों से,
तो उसके जीवन के समस्त पापों का नाश हो जाता है.
और जैसे कहते हैं ना भागवत पुरान कराने से
अपने पित्रों को मोक्ष प्राप्त होता है,
उसी प्रकार यह बाबा शाम की दिव्य कथा
जहां कहीं भी आयोजित होती है,
उसे मेरा बाबा भक्ती,
शक्ती,
सुक्ष, सम्रिद्धी साब कुछ प्रदान करता है.
और जब तक वो इस धराधाम पर रहता है,
उसको सातो सुक्ष प्राप्त होते हैं,
उसके जीवन में कभी कोई निराशा नहीं होती,
बाबा की कृपा सदेव उस पर और उसके वंश पर बनी रहती है.
तो ऐसी दिव्य कथा की गाथा,
जो सकंध पुराण में कहीं छुपी वी थी,
ये हमारे श्री राजेंदर दास जी, जो मुलक
पीट के पीठादीश हैं,
एक बार हमने उनके मुक से श्रवन किया,
और बाबा की ऐसी दिव्य भक्ती जागी,
कि उनकी कृपा से और बाबा शाम की कुरृपा से
आज हम पठल गौँ में आप सभीके समक्ष,
इस कथाको लेकर के आये हें
तो सरवप्रतम इस कथाको क्या प्रब्द होता है
इससे आपकोase भक्ती कіль प्राप्ती होती है,
इससे आपको शक्ती की प्राप्ती हुती होदी है!
इससे आपके जीवन में धन धान्य की वृध्धी होती है!
इस कथा । फस्प्ढ के खेले। स कश्मी theology to speed to take
अपने मिलम में व्पित्र मातनवािं के सीखिलोत था उतलग हैं。
आरदा got the value 100%