बाबा रे
बाबा रे
बाबा रे बाबा रे
कैसा भुट्ठा के पल्ले में
बाद के तू चला गया
समझ ना एका करूँ
अल्ला का करूँ
अल्ला का करूँ
बाबा रे बाबा रे
दिल पे तरार है
जीना दुश्वार है
जब देखो जालिम
सर पे सवार है
जगड़ा वो बिनरात करे
हमको मात करे
दिल में न प्यार है
रहते रहते मिलते
जुलते कहते सुनते हरते रोते
सब में तोके
कहते बेदरदी
से मिला गया
बाबा रे
समझना ये का करूँ, अल्लाह का करूँ, अल्लाह का करूँ
बाबा रे, बाबा रे
हर दं सताये, जी को जलाये
बंदर के जैसे, बंदर के जैसे मुँ को बनाये
सिधे मुँ ना बात करे, हम से घात करे, मन को दुखाए
आते जाते, घाती पीते, उसे सोते, चलते फिरते
रहता रोके, जी जन चालेंगे, तू खसा गया
समझना आये
क्या करूँ, अल्ला क्या करूँ?
बाबा रे, कैसा बुढ़्धा के पले में बाध्द के तू चला गया
समझना, क्या करूँ, अल्ला क्या करूँ?