पाब मोहन राम सरन पड़ायान कासी दुकरोवे
मेरे पाब मोहन राम सरन पड़ायान कासी दुकरोवे
दुखे तराजन काये
जाते हैं जो लोग तिरे
दर्याते हैं
मुम गावरे
पाते हैं जब महरनात तेरी होवे
तू कहा पड़ाया लब सोवे
मेरे पाब मोहन राम सरन पड़ायान कासी दुकरोवे
तू कहा पड़ाया लब सोवे
तू निन्द रात जजच्छत तरे धारी तेरी बात लखा रे नरे नारी
अरे भीर पड़ी है सर भारी सब सीज पड़क रोवे तू कहा पड़ाया लब सोवे
मेरे पाब मोहन राम सरन पड़ायान
कासी दुकरोवे तू कहा पड़ाया लब सोवे
ये देविक साभी किसुप आये
आपको प्रश्चान पर देविक पड़ाया लब सोवे ये देविक साभी किसुप आये
भगतों को पार
लगाता है
उस्तों को मार भगाता है
ये कवी भीजल कते गाता है तेरे बजल भी नोद सुढावे
तू कहा पड़ाया लब सोवे