सजनों एक वो दुखियें इंसान
सुगुर्दे के लुट पिठ के खलीला दर्बार में पहुंच जाता है
जैसे ही भगजीयों में बाबा का प्रवेश हुआ पैर पकड़ के रहता है बाबा
बड़ा नाम सुनके बड़ी आस लेकर आपके भूनों में आया हूँ
भगजी भगवान का शुमन करके दुख्या के सिर्फ रहात रखते हैं
कहा कि बेटा ये बाला जी महराज की अर्जी है लगाओ
बाबा की भगूत लगाकर उसको लडू खिलाया
लडू खिलाते ही सरीर को आराम मिला
कैसे दरबारों में दिल के भगू प्रगट करता है
आये गुदल कैसे
बाबा दरबार में आने के बाद
कटी गया रोगी लडू खाने के बाद
बाबा दरबार में आने के बाद
बाबा दरबार में आने के बाद
बाबा दरबार में आने के बाद
बाबा दरबार में आने के बाद
जब बड़ा भवन में
नया डान चरण में
जब बड़ा भवन में
नया डान चरण में
नया डान चरण में
बाबा दरबार में
बाबा दरबार में
बाबा दरबार में
बाबा दरबार में
वहाँ तर पार में आने के बाद
अजय को देव नहीं जित में जन डूंडूं कित कित में
कोई देव नहीं जित में धन डूंढूं जित कित में
जन पार में आने के बाद
काल रूप लाके सद भगतों के हित में
नजर नहीं हटती मिलाने के बाद
और कटे गया रोगे मिरा आने के बाद
कटे गया रोगे मिरा आने के बाद
बाबा देर बार में आने के बाद
बाबा देर बार में आने के बाद
मैल आने के बाद
मैल आने के बाद
मैल आने के बाद
मैल आने के बाद
कोशित गाए तुझे मैल आने के बाद
कटि गया रोगिलटू खाने के बाद
कटि गया रोगिलटू खाने के बाद
बापा धर पार मैल आने के बाद
बापा दरबार में आने के बाद