आज अंगर की देखी हो देखी हो पर जिसे निल देखी हूँ
निल देखी हूँ
सुन्दर सलोनी ही बहडू तू
रोही हमको इससे दू
जा लेलू आई सेहे बनठन के
लागेलू जा इससे हूँ
सुन्दर सलोनी ही बहडू तू
रोही हमको इससे दू
मेरी पतली कमन
मेरी तिरची नजर पर
भावना किसको देते हूँ
देते हूँ
आज अमगड की बेटी हो पलट के सैंडल देती हो
आज अमगड की बेटी हो पलट के सैंडल देती हो
पलट के सैंडल देती हो
रुप तो हर मस्ताना बाती सब ही होल दिवाना रे
अरे छेडना मुझ्गो ऐसे तु नत पहुचाओंगी थाना रे
रुप तो हर मस्ताना बाती सब ही होल दिवाना रे
छेडना मुझ्गो ऐसे तु नत पहुचाओंगी थाना रे
जाओंगी था ना रे जाने कल जा किदर नहीं है है दर जेता मने तुमको देती हूँ देती हूँ देती हूँ आज अमगड की देती हूँ पलट के सैंडल देती हूँ अरे आज अमगड की बेटी हूँ पलट के सैंडल देती हूँ
पलट के सैंडल देती हूँ
बाप का डर दिखला के कब तक मुझे को दूर भागाएगी
तुम जैसे आखारे को ये लड़की सबस्थिखाएगी
मेरी बातों को मान न सुनाएं सितन ये बात मैं तुझे से कहती हूँ
कहती हूँ कहती हूँ आज अमगड की देती हूँ
पलट के सैंडल देती हूँ आज अमगड की बेटे हूँ
पलट के सैंडल देती हूँ जा लेलू ऐसे हिवान खान के
लागेलू जा इसे हूँ सुन्दर सलोनी ही बहडू तू
राही हम को इसे दूँ मेरी पतली कमल मेरी पिरचे नजर पर
भावन किसको देती हूँ आज अमगड की बेटे हूँ
पलट के सैंडल देती हूँ
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