आतिशो अब मैं हूँ
जो नहीं देखा वो ख़ाब मैं हूँ, ओ खाब मैं हूँ
शबनम जो है पतों पर
और क्या इतने हलका है
पानी की
नेली को छट पर
रंग किसका है चलका
उलजे इन सवालों को
त्यार ने मेरे अंदर लपेटा
तर को हमने माना है ये मैने
माना है
बस में जाना है
हो
जो भी यहां पे आएगा
दर्द पाएगा
फिर भी आएगा हो
आतिशो अब मैं हूँ
चलता क्या मेरे मन में
खाली दर्पने अपने जीवन में
खाली थी सब वो तस्वीरे
सिर्फ तेरे दे
एसे जंजीरे
आतिशो अब मैं हूँ
अब मेरा आप मैं हूँ
जो नहीं देखा वो काब मैं हूँ ओ काब मैं हूँ
आतिशो अब मैं हूँ
अब मेरा आप मैं हूँ
जो नहीं देखा वो काब मैं हूँ
ओ काब मैं हूँ
ओ काब मैं हूँ