महरे सिकली को घागरो मंगवा दूनी बरतार
सज़ थज़ होके ने तयार मैं पानी लेवा जाओ
आख्या मैं काज़र घाल मैंने हाता मैं लगवाओ
महर गलबंदन ने ढोला एक थेलिया दो राणी हार
महरे सिकली को घागरो मंगवा दूनी बरतार
सज़ थज़ होके ने तयार मैं पानी लेवा जाओ
मुखडो चमके भारो चाद जुआ जूतर जमीपे आयो
कंगन हाता मैं डालटी को माथे पे चमकायो
महर बगवे जूना लाके पायल मांगे थारी नाओ
महरे सिकली को घागरो मंगवा दूनी बरतार
पतली कमर पे मटका भारी मारे रूप के जादू न्यारो
जब चालू हिरनी चाल गाव देखे माने सारो
मिंदी मा ठेक लगाऊ फिर निकलू मैं करसिण गार
महरे सिकली को घागरो मंगवा दूनी बरतार
चून्दी चैप रुसू मंगवा दू मैं कमर कंदोरो बांदूंगी
ई जब मैं गाना बाजे मैं बन के मोरनी नाचूंगी
महरे गलबंगन ने ढोला एक धेल्यां दो रानी हार
महरे आसी कली को भागे मंगवा दू जी भरतार
फ्रिजद जी होके ने तयार मैं पानी लेवा जाऊं
पानी लेवा जाऊं
पानी लेवा जाऊं
पानी लेवा जाऊं
अगर आएच को आये जाऊं
आएच को आये जाऊं