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Ashwathama Ne Uttra Ke Garbh Par Prahar Kyo Kiya

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Lời bài hát: Ashwathama Ne Uttra Ke Garbh Par Prahar Kyo Kiya

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

अश्वत्थामा बदले की आग में जल रहा है बदला लूँगा पांडवों से मेरा अपमान किया और कैसा बदला मैं पांडवों के कुल में कोई जल देने वाला भी नहीं छोड़ूँगा
और इनके कुल का आखरी दीपक कौन है अभिमन्यू की पत्नी उत्तरा के गर्भ में जो बालक पल रहा है आखरी इनका अन्स है
उसे मारने के लिए अश्वत्थामा ने फिर ब्रह्मास्त्र चला दिया गर्भ जलने लगा दोड़ कर गई है उत्तरा भगवान के चरणों में गिर पड़ी
पाही पाही महायोगिन देव देव जगत पते नान्यम त्वद्भयम पसे यत्र मृत्यु परस्थरम
अच्छा करो अच्छा करो पाही माम क्या हुआ ऐसा लग रहा है मेरे प्राण निकल जाएगी भगवान ने देखा का चिंता
मत कर मेरा भरोसा रख योगवल से भगवान गर्भ के अंदर गए हाथ में गदा लेकर भगवान ने गर्भ की रख्षा की चक्कर
आ रहे हैं गर्व ब्रह्मास्त्र को पास नहीं आने दिया और गदा कितनी तेज घुमा रहे हैं ऐसा लग रहा है जैसे भगवान का सुदर्शन चक्र घूम रहा है और उस छबी को देखा गर्व में उस बालक ने ब्रह्मास्त्र सांत हुआ भगवान बाहर आये समय आने पर �
उस बालक का जन्म हुआ नाम रखा गया परिख्षत बड़ा हो रहा है इधर जब पांडव सुखी हो गए तो भगवान द्वारिका जाने लगे और जाने के पहले सबसे मिल रहे हैं और मिलते मिलते जब भगवान कुंती के पास आये और तीसरा संसार दुखाले है इस संसा
संसार का नाम क्या है दुखाले दुखों का घर और दुखाले में आकर के हम सुख चाहते हैं यह हमारी भूल यह दुनिया दो से बनी है दो का जोड़ा है जल्दी बोलो दिन रात सुबह साम आना लाव आनी
जीवन मरन यस अपरेस कअ अपना पराया लेना देना खोना पाना जोड़ा है ऐसे जोड़ा है सुुख का और दुख का दोनों भगवान
ने बनाए अ इन और भगवान का भक्त दोनों परिस्थितियों में भगवान का भजन करता है क्योंकि वह
जानता है दोनों बहुबन ने बना है
आह
हम क्या करते हैं
बहुबन सुख दे सुख दे सुख दे
और बहुबन के
दुख भी मैंने बनाया आरे थोड़ा सा भेज दो
क्या बोलते हैं
इमान दारिस बोलना
पडोसी के आँवेद दे
हमें तो केवल सुख चाहिए
पर भगवान का भक्त वही है
जो सुख हो चाहे दुख हो
दोनों परिस्थितियों में भगवान का भजन करे
भगवान के भक्त के लिए है ये बात
क्या सुख सपना दुक बुलबुला
दोनों एक समान प्रेम सहित सुखारिये
जो भेजे भगवान
ये भगवान का भक्त ही कह सकता है
और भगवान के भक्त
की पहचान क्या है
ये भी सोचना पड़ेगा न
कैसे पहचान करें
कितना बड़ा भक्त है
और बाहर दूसरे का तो छोड़ो अपनी देख लो
और दुख से घबराय नहीं, वो ही सच्च भक्त है, जरा सा सुख आया इतरा गए, जरा सा दुख आया घबरा गए तो भक्त नहीं है, कम भक्त है, अरे भगवान का भक्त तो हर परिस्थिती में भगवान का भजन करता है, क्यों?
वो जानता है कि ये सुख और दुख केवल सरीर को प्रभावित करते हैं, देह धरे का धरम है, ये सब काहू को होए, ग्यानी भुगते ग्यान से और मूरक भुगते रोए, जो समझदार है, जीवन मेरी दुख आता है, तो उस दुख में जादा से जादा भगवान का भजन कर
करते हैं, क्यों, क्योंकि दुख में भगती में मन, अरे कोई दुख आये ना तो याद कर लिया करो ये बात, दुख में सुमिरन सब कर, कठोर कृपा, और उसकता है इसे समझ में ना आये, पर भगवान का भक्त क्या कहता है, इसे समझ में आयेगा आपको, कैसे, भगवान क
का भक्त कहता है एक भक्त कह सकता है सुख सपना दुख बुलबुला दोनों एक समान प्रेम सहित स्वीकारिये जो
भेजे भगवान अपने धखाने से कुछ नहीं होगा जैसा कर्म करके आए हैं वैसा फल मिलेगा भोगना पड़ेगा अब
आप मन से स्वीकार होया रोके स्विकार मुख है तो भगवान को सुखियां बोलो सौर भजन करते रहना और दुख है
तो हिम्मत रखना अगर आप भगवान की स्रण में हो तो भगवान ही उस दुख को सेहन करने की सक्ति भी देते हैं
है बहुत समय तक
भगवान रुके अनेक अनेक धार में कार करवाए और फिर भगवान द्वारिका गए अर्जुन सांत में गए

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