सुर्यनर्वन्वित श्रीमहरक्ष्मीबहन चंत्र की स्वर्ण रहेचिन्कोरिशी मुम्बी पूजे वेद बखानेवेमधु वचन कहेमुश्यप्रदायने श्रीकमदासनीसुख बरसाये शान्त रहेजैजे हरिनारायण की प्रियआदिलक्ष्मी पालन करेधिन्धिमि धिन्धिमिदोन्दु भीनामाकी चारो और रहेघुम घुम घुम घुम शंक बजेऔर वाग सुवंगर बजा करेव्यदिक मार्द दिखाने वालीवेद पुराण जिन्हे पूजेजैजे हरिनारायण की प्रियधन लक्ष्मी धन बृष्टि करेवेद स्वरूपा श्री महलक्ष्मीकलियुग के दुख भरती हैशीर समूत्र से जन्नी मंकलामंत्र मंत्र में रहती हैकमल में रहती मंगर करतीदेव है जिन्ती शरण रहेजैजे हरिनारायण की प्रियधन लक्ष्मी धन धन भरेसब फल देतीदुर्खती हरतीशास्त्र मैई श्री विष्णु प्रियारत्कज सेना रखे साथ मेंजन जन रे यश गान कियाशिव हरि ब्रह्मा पूजे मा कोचरण कामर सब दुख हरेजैजे हरिनारायण की प्रियधन लक्ष्मी मा दया करेछक्र हाथ ले करुण विराणजैजे विकसित रागोर ज्ञान करेदाए साथ स्वर्महिमा जिन्दीवेजग का कर्यान करेसभी देवनर असुर रिशी बुनीचरण वन्दना किया करेजैजे हरिनारायण की प्रियधन लक्ष्मी मा दया करेसद्धावि जैयवन देने वालीमा का शास्त्र बखान करेदैश्नविदेवि ज्ञान बढ़ाने दाँगेशीक्र ही भर का तान करें भर को हरती पाप मिटाती साधु संत सब चरण रहेंजै जै हरी नाराइन की प्रियन हैर्य लक्ष्मी माँ कृपा करेंसक्ति दाईनी ज्ञान प्रदानीदेवी का मल में रहती हैगानमरी कुम कुम से भूषत बाद्यों से माँ भूझत हैतनक धारा सोत्र में महिमा कहें शंकराचार्य हैजै जै हरी नाराइन की प्रियन हैर्य लक्ष्मी माँ कृपा करेंसक्ति दाईनी ज्ञान प्रियन हैर्य लक्ष्मी माँ कृपा करेंलख्न सुषों भित शी बृग पुछ रुणार materialsत्रि लक्ष्मि सारे दुख हरे। शांत रूप और मन्त हास्य है। मनि कुण्ट कानों में सजे।मन चाहार देने वाली नवनी धिदाई दी दोश हरे। जर्जर हरी नारायन की पेर। वित्या लक्ष्मि दया करे।