आग रोश की हद है पाद
आग है दिल में जवार
जातियों देसी धेवार
करबड़ेंगे वो हमसे हाँ
हे बचन तुझ बेजवार लेंगे हम उनसे वयान
खुद के हर बूत की जो तुने आज वहाई है
कर दो
सब्सक्राइब
कर दो
कर दो
कर दो
अर्मान हजारे जब मरते हैं फौला दिख होता है खड़ा
फौला दिख हजारे हो सरहज पे तब अर्मा जगते है नया
होते हैं जंगित नाया फिर भी गम है खुशिया कहा
कब तक यूँ लड़ते रहेंगे दो जहाँ
डूटे अंदर से हर दवा जब मरते हैं इंसान हर जगा
हम एक दूजे से कर रहे है दगा
चले मुल्क से करने वफा चाहे अपनों को मिले सजा
जब गिर पड़े साथी लगे समशानों से बत्तर यहाँ
जूट की ये जिन्दगी जीते आए हैं हम सदा
बन गई है जब से लकीर भाई भाई से है लड़ा
आए थे हम लेकर सपने शानों अमन के दिल में हमारे
अब छाई है अमवर में क्यों
दुखडी में दा दुश्वारे
अरों के जनाजों का है सिलसिलाब यहाँ
लहु की बहे नदियाब यहाँ
मरते इंसान है
मिट्टी हैरान है
अब खून बहे या जान ले
कुछ लेंगे गुढ़े पेरों तले
जो सुन्द की सोर हम पे पड़े
बुलता ना किसी से लाभ से
हिम्मत रख अपने आप में
आज चट्टानों को पार के बढ़ चले
चलि मुल्क से करने वबा चाहे
अपनों को मिले सजा
जूत की ये जिन्दगी जीते आये है हम सदा
बन गई है जब से लकीर भाई
बाई से है लड़ा
तुम अंदे मातरम
अंदे मातरम
तुम अंदे मातरम
अब चाहे कफ़निले
विरत का उच्छा हीरा है उसमें ही लिपट कर जाएंगे
बैदर भी हर मोड पे चाहे सासे अब जोर के दूर उन्ने नहीं साथी मेरे जान ले
कर चले है तुझसे वचन खुशियों का भी होगा समाद
यादो और होगा वन फिर से हसेगा हिंदुस्टा
यादो और होगा वन फिर से हसेगा हिंदुस्टा
यादो और होगा वन फिर से हसेगा हिंदुस्टा
करते हैं