कभी सोचा नहीं था
पर तुझे पाके लगा
ये लिखा गया था
भीड में भी तूने मुझे को पहचाना
जैसे दिल ने दिल से छुपके कह दिया फसाना
तिर बिना भी मैं थी कथा शायद
तिर तेरे साथ सब कुछ पूरा हो गया
आज नवक्त बोला न लवजों में था कुछ खास
बस एक नजर ने कह दिया सब कुछ एक साथ
जो बाते कभी समझ नहीं आई
तू मिला तो अरे उलजन सीधी हो जाई
अपना मिलना
ज़रूरी था
जैसे रात के बाद सबेरा होना लिखा था
तेरे साथ सब कुछ असा लगता
है
जैसे तू हो तो अरे मोड पर नूर छलकता है
तू मिला जैसे बारिश से मिट्ती की प्यास
या जैसे ख़ौबोंने पालीया हो अपना अस्राखास तेरे भिना भी जी रहे थे हम
पर जीना क्या होता है तुझसे सीखा हम ए सनम
हर पल लगता है तू कुछ कह रही है
खामोशी भी अब तो महफिल सी लगती है
तेरे साथ वक्त भी थेहरा थेहरा सा है
तेरे होने से लगता है सब कुछ जहां सा है
अपना मिलना ज़रूरी था
जैसे लिखा गया हो ये बंध सितारों में छुपा था
ना तु देर से आई ना में जल्दी था
जो वक्त था वो बस हम दोनों के लिए था
तेरे बिना धूरा था जो राज
देर साई
अपना मिलना ज़रूरी था
क्योंकि तू नहीं मिलती तो अमर में नहीं रहता