अन्नपूर्णा शिवादेवी भीमापुष्टि सरस्वतி सर्वज्ञापार्वती दुर्गाशर्वानी शिववल्लभ
अन्नपूर्णा शिवादेवी भीमापुष्टि सरस्वती सर्वज्ञापार्वती दुर्गाशर्वानी शिववल्लभ
वेद वेद्या महा विद्या विद्या धात्रि विशारद कुमारी तृपुरा बाला लक्ष्मि श्री भयाहारिनी भवानी विष्णु जननी ब्रह्मादि जननी धद्र गनेशा जननी शक्ति कुमार जननी शुभा
भवानी विष्णु जननी ब्रह्मादि जननी धद्र गनेशा जननी शक्ति कुमार जननी शुभा
भोग प्रदा भगवती भक्ता विष्ट प्रदायिनी भवरोग अरा भव्या शुप्रा परममंगला
भोगप्रदा भगवती भत्ता भिष्टप्रदायनी भवरोगहरा भव्याशुप्रा परममंगला भवानी चंचला गोरे चारु चंद्रकलाधरा विशालाक्षी विश्वमाता विश्ववंध्या विलासिनी
आर्या कल्यान निलैया रुत्रानी कमलासना शुभ प्रदा शुभानन्ता वृत्तपीन प logrणा
आर्या कल्यान निलैया रुत्रानी कमलासना शुभ प्रदा शुभानन्ता वृत्तपीन प yogurt
अम्बा संभार मधिनी मृधानी सर्वमंगला
विष्णु सम्सेविता सित्ता ब्रह्मानी सुरसेविता अम्बा संभारमतिनी वृधानी सर्वमंगला विष्णु सम्सेविता सित्ता ब्रह्मानी सुरसेविता
परमानन्द दाशान्ति परमानन्द रूपिनी परमानन्द जननी परानन्द प्रदाईनी
परोपकार निरत परमा भक्त वच्चल पूर्ण चंद्र भवदन पूर्ण चंद्रनि भामशुक परोपकार निरत परमा भक्त वच्चल पूर्ण चंद्र भवदन पूर्ण चंद्रनि भामशुक
शुभा लक्षन संपन्न शुभा नन्द गुणार्णव शुभा सवभाग्यनिलय शुभा दाचरति प्रिया
शुभा लक्षन संपन्न शुभा नन्द गुणार्णव शुभा सवभाग्यनिलय शुभा दाचरति प्रिया
चंडिका चंडमदनि चंडदर्पनिवारिनि पुन्डरीकह ना पूर्ण पुण्यदा पुण्यरूपीनि
माया दीता स्रेष्ट माया स्रेष्ट धर्मात्मनन्दिता पुन्डरीकह ना पूर्ण पुण्यदा पुण्यरूपीनि
माया तीता सेशा माया सेशा धर्मात्मरंदिता अश्रिष्टिस्संग रहिता सुष्टिहे तुकवर्धिनी प्रशारूढा शूला हस्ता स्थितिस्संभारकारिनी
मन्दस्मिता संदमाता शुद्धवित्ता मुनिस्तुता महा भगवती दक्षा दक्षा ज्वरविनाशिनी
मन्दस्मिता संदमाता शुद्धवित्ता मुनिस्तुता महा भगवती दक्षा दक्षा ज्वरविनाशिनी
सर्वार्थ धात्रि सावित्रि सदाशिव कुटुम्बिनी नित्य सुन्दर सर्वज्ञी सच्चिदानन्द लक्षण
सर्वार्थ धात्रि सावित्रि सदाशिव कुटुम्बिनी नित्य सुन्दर सर्वज्ञी सच्चिदानन्द लक्षण
सर्वार्थ धात्रि सावित्रि सदाशिव कुटुम्बिनी नित्य सुन्दर सर्वज्ञी सच्चिदानन्द लक्षण
नाम्नाम् अष्टोतरंशतं अम्बायां उन्यकारणं सर्वसवभाग्यसित्यत्थं जबनीयं प्रयत्नतः
येतानि देव्यनामानि शृत्वा ध्यात्वा निरंतरं स्तुत्वा देविंच सततं सर्वान कामानवाप्नो यात्