स्रीष्वामि समर्त जैस्वामि समर्त
आनंदाजिमुर्दि पर्मानंग चित्ति पहता विश्रांति स्वामी रुपः
Anandaajimurdi Parmananda Chitti Pahata Vishranti Swami Rupa
आणन्दाजी मुत्री परमानन्ग धित्री पाता विष्रांति स्वामी रूपः
स्वामी रूपः पाता गेली भवचिन्ता
स्वामी रूपः पाता गेली भवचिन्ता
दूरिके लिव्यता कुरूपा बले
रूपा बले
जाने आनन्दाते लेने
रूपा बले जाने
आनन्दाते लेने
आनन्दाती मुत्री परमानन्द धित्री पाता विष्रांति स्वामी रूपः
काही नसे कोठे अन्य सर्वखोठे काही नसे कोठे अन्य सर्वखोठे
अन्य सर्वखोठे काही नसे कोठे अन्य सर्वखोठे काही नसे कोठे
मोते समर्थाथे नामहेति साथे
आनि रूप त्याथे चित्ती ठेवा
आनन्दाची मुर्थी परमानन्द धित्ती पाता विष्रांति स्वामी रूपः
चित्ती ठेवा तुम्ही धर्शन हे कामी
पाई लोले आनन्दाची मुर्थी परमानन्द धित्ती पाता विष्रांति स्वामी रूपः
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