राम कली मैं लाती जानन्द कौंकार सत्गुर परसादअनन्ध भया मेरी माई सत्गुरू मैं पाया सत्गुरता पायासहज सेती मन वजिया वधाया राग रतन परवार परियाशबद गावण आया शबदोत गावो हरी के रामन जनीव सायाी कहे ननक अनन्ध होगा सत्गुरू मेंपायाएमन मेरे आ तु सजझरो खर्नालखर्नाल रहो तु मन मेरे तुकँ सन विसार्ना...घारो करे त्यरा कर्ज कर विसार्ना...क्यों जैसे।के है ननक मन मेरे सजझरू खर्नाल...सचे सहेबा क्या नहीं घर तेरे...्गर्ता तेरे सब कुछ है जिसके हे सोपावे...सथे सिपथ..सलह तेरी नाम मं वसावे... नाम जिनके मं वज़यावाजdet शब्दे, गनदे...कहकि६नानक ननी कार सच्य...सचा नाम मेरा अधारो...सच नाम या धार मेरा जिन भूखा सब गवायं...करसा तुस्कुमान आयवसियाजिनी इच्छा सभुकजाया...सदा कुर्बान किता गुर्विटो जिसयाइ वडियाया...कहकि६नानक सुनो संतो शब्द दरो पेयारो...सचा नाम मेरा अधारो वाजे पंच शब्द थिद घर सबागे...घर सबागे सबद वाजे कला जित घरधारेया...पंच दूत तुदवस कीते काल कंटक मारे...दुर करम पाया तुझिन कोसे नाम हर के लागे...कहे नानक ते सुखो हो वातित घरे अनहद वाजे...आनंद सुनो वद भागियो सगल मनोरत पूरे...पार ब्रहम पर पाया पुत्रे सगल विशूरे...धूख रोग संता पुत्रे सुनी सत्यी वानी...संत साजन भै सरसे पूरे घुरते जानी...सुन्ते पुणित केते पवितसत गुरया भरपूरे...बिन वंत नानक गुर चरन लागे वाजे अन हतूरे...कौन गुरू पानी पिता माता धरत महत...दिवस रात द्योदाई दाया खेले सगल जगत...चंगिया या बुरिया या वाचे धर्म हदूर...घर्मी आपो आपनी के नेडे के दूर...जिननी नम दे आया गैम सकत गाल...नानक ते मुझले केती छुटी नाल